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मुख्यमंत्री का निर्देश : अब ब्लाक व तहसील पर ही अफसरों को गुजारनी होगी रात

आजमगढ़ में अब तहसील व ब्लाक मुख्यालय पर तैनात अधिकारियों को अपने मुख्यालय पर ही रात्रि प्रवास क रना होगा, ये आदेश मुख्यमंत्री कार्यालय से आया है।

By Edited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 08:02 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 12:30 PM (IST)
मुख्यमंत्री का निर्देश : अब ब्लाक व तहसील पर ही अफसरों को गुजारनी होगी रात
मुख्यमंत्री का निर्देश : अब ब्लाक व तहसील पर ही अफसरों को गुजारनी होगी रात

आजमगढ़, जेएनएन। अब तहसील व ब्लाक मुख्यालय पर तैनात अधिकारियों को अपने मुख्यालय पर ही प्रवास करना होगा। यह आदेश नया नहीं है। पिछली सरकार में भी था। इससे पूर्व की सरकार में भी था। भाजपा सरकार की ओर से भी तीन माह पूर्व यह आदेश जारी किया गया था लेकिन अफसरों ने इसे औपचारिकता समझ संज्ञान में नहीं लिया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बार पुन: अफसरों को सख्त आदेश दिया है कि तत्काल ऐसे लोगों की रिपोर्ट दी जाए ताकि कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

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मुख्यमंत्री कार्यालय से आदेश आते ही हड़कंप सरीखा मचा है। आला अफसर कार्यालय में बैठकर ब्लाक व तहसील के लिए आदेश जारी कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों की खोजबीन के लिए फाइल दौड़ने लगी है। यह अलग बात है कि इसको हकीकत में कितना जमीन पर उतारा जाता है या हवा हवाई कागजी घोड़ा दौड़ा कर इतिश्री कर लिया जाएगा। बहरहाल, मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसी शिकायत प्राय: मिल रही है कि ब्लाक व तहसील पर तैनात अधिकारी समय से नहीं आते हैं।

वह मुख्यालय पर नहीं रहते बल्कि शहर में निवास करते हैं। जिसकी वजह से आने जाने में उन्हें विलंब होता है। समय से जरूरतमंदों से मुलाकात न होने के कारण खासा परेशानी होती है। इसमें खासकर एसडीएम, पुलिस क्षेत्राधिकारी, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात चिकित्साधिकारी आदि शामिल हैं। सीएम कार्यालय ने सख्त निर्देश दिया है कि ऐसे सभी अधिकारियों को तैनाती स्थल पर ही प्रवास सुनिश्चित कराया जाए। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो कार्रवाई की जाए।

पब्लिक की सुनवाई नहीं : मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आदेश की जानकारी होने पर पब्लिक खुश है। हालांकि बहुतायत का यही कहना है कि सरकार के आदेशों की अह्वेलना अधिकारी कर रहे हैं। ये लोग न कार्यालय में समय से बैठते हैं न ही शिकायतों का निस्तारण ही गंभीरता से करते हैं। शिकायतकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नकल देने के नाम पर पैसे की मांग की जा रही है। पंचायत की खुली बैठक तक के आदेश को हवा में उड़ा दिया जा रहा है।


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