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अब सेनेटरी नैपकिन भी राशन की दुकानों पर, आदेश लागू कराने के लिए कोटेदारों को दिया गया है निर्देश

अब तक सैनेटरी नैपकिन जहां चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध रहता था अब उसे शासन स्तर से हर कोटे की दुकानों पर रखने का निर्देश जारी कर दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 09:39 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 08:50 AM (IST)
अब सेनेटरी नैपकिन भी राशन की दुकानों पर, आदेश लागू कराने के लिए कोटेदारों को दिया गया है निर्देश
अब सेनेटरी नैपकिन भी राशन की दुकानों पर, आदेश लागू कराने के लिए कोटेदारों को दिया गया है निर्देश

सोनभद्र [सुजीत शुक्ल]। सोच बदलो दुनिया बदलो की तर्ज पर अभी तक संकोच की जिंदगी बिताने वाले लोगों के लिए एक राहत की खबर है। अब तक सैनेटरी नैपकिन जहां चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध रहता था अब उसे शासन स्तर से हर कोटे की दुकानों पर रखने का निर्देश जारी कर दिया है। अब निस्संकोच सेनेटरी नैपकिन समेत अन्य दूसरे सामान गांव के सस्ते गल्ले की दुकान पर खरीदी जा सकेगी। इसके लिए शासन स्तर स्तर से जिला प्रशासन को पत्र भेजा जा चुका है।

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दरअसल, सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर अब तक केवल चावल, गेहूं, मिट्टी का तेल ही उपलब्ध रहा करता था। अब इन वस्तुओं के अतिरिक्त उन सामानों को सूची में शामिल किया गया है जिसे या तो किसी चुङ्क्षनदा दुकानों पर खरीदा जाता था या संकोच में खरीदा ही नहीं जाता था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो संकोच के कारण युवतियां या महिलाएं अक्सर संक्रमण का शिकार हो जाया करती हैं। इसे दूर करने के लिए अब शासन स्तर से कदम बढ़ाया गया है। शहरी क्षेत्रों से इतर गांव स्तर पर सेनेटरी नैपकिन को उपलब्ध कराकर सरकार ने स्वास्थ्य के प्रति खास ध्यान दिया है। आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की मानें तो इसके अतिरक्त कोटे की दुकानों पर अब साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, चाय, पेन, कापी, ओआरएस टेबलेट व घोल, निरोध भी उपलब्ध रहेंगे।

बताया जाता है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में एपीएल आदि योजनाओं के बंद होने के बाद सिर्फ अंत्योदय व खाद्य सुरक्षा यानी पात्र गृहस्थी का काम बचा है। डोर स्टेप डिलीवरी के बाद सरकारी गोदाम से खाद्यान्न लाने के मद में मिलने वाला पैसा भी बंद हो गया है। ऐसे में लंबे समय से सरकार राशन दुकानदारों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

एक नजर में देखें

जिले की कुल आबादी : 20 लाख

ग्रामीण क्षेत्र में कोटे की दुकान : 730

शहरी क्षेत्र में कोटे की दुकान : 63

बोले अधिकारी : सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर मिलने वाले खाद्यान्न से कोटेदारों का खर्च नहीं चल पाता। ऐसे में शासन ने इनका आय बढ़ाने के लिए इस तरह का निर्णय लिया है। इस संबंध में पत्र मिलने के बाद कोटेदारों को निर्देश दे दिया गया है। कोटे की दुकान पर मिलने वाली वस्तुओं पर किसी प्रकार की छूट से संबंधित कोई पत्र नहीं मिला है।

- डा. राकेश तिवारी, डीएसओ, सोनभद्र।


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