White Fungus का खतरा बढ़ा, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को रहना होगा सावधान अधिक
बिहार के कुछ अस्पतालों में व्हाइट फंगस के मरीज मिले हैं। टीबी कैंसर एड्स जैसी बीमारियों में लोगों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसलिए व्हाइट फंगस का खतरा अधिक हो जाता है। कोरोना काल में जहा सभी को सतर्कता बरतनी जरूरी है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर्फ बनारस ही नहीं पूरे देश में कोहराम मचा दिया है। हालांकि अब इसका प्रकोप थोड़ा कम हुआ है, लेकिन अब इसके तीसरे लहर को लेकर भी स्वस्थ विभाग की चिंता बढ़ने लगी है। तीसरे लहर में जहा बच्चो को टारगेट बनाने की बातें सामने आ रही है, वहीं इन सब के बीच अब टीबी मरीजों को भी आगाह किया जा रहा है क्याेंकि ब्लैक फंगस के साथ ही व्हाइट फंगस का भी खतरा बढ़ा है। हालांकि, यह ब्लैक फंगस की तरह जानलेवा नहीं है लेकिन लापरवाही हुई तो जान जा सकती है क्योंकि, यह फंगस चेस्ट को अधिक प्रभावित करता है।
बिहार के कुछ अस्पतालों में व्हाइट फंगस के मरीज मिले हैं। टीबी, कैंसर, एड्स जैसी बीमारियों में लोगों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसलिए व्हाइट फंगस का खतरा अधिक हो जाता है। कोरोना काल में जहा सभी को सतर्कता बरतनी जरूरी है। लेकिन टीबी (क्षय रोग) के रोगियों को अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है। खासकर उन मरीजों को जो पहले से फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह का कहना है कोरोना वायरस कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इसलिए टीबी मरीजों में संक्रमण का खतरा अन्य मरीजों से कई गुना ज्यादा होता है। ऐसे में जरूरी है कि मरीज बहुत आवश्यक हो, तभी घर से बाहर निकले। मास्क और शारीरिक दूरी का पालन करें। किसी भी संक्रमण को रोकने के लिए मास्क का उपयोग जरूरी होता है।
उन्होने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम का आना, बुखार आना (विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला), वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द, बलगम के साथ खून आना आदि मुख्य लक्षण हैं। यह लक्षण अगर किसी भी व्यक्ति में आते हैं तो तत्काल अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपने बलगम की जांच कराकर मुफ्त चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त कर बीमारी से बच सकते हैं। डा. राहुल सिंह ने बताया कि वर्तमान में जिले में 4724 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। टीबी के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से कम होती है, इसलिए ऐसे समय मे टीबी मरीज घर से बाहर न निकले और जब निकलें तो हमेशा मास्क पहने रहें। जिले में समस्त एमडीआर मरीजों को फोन से संपर्क किया जा रहा है और दवा आदि न होने पर उनको दवा भी नजदीकी ब्लाक के टीबी यूनिट से पहुंचाई जा रही है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी मरीजों की अनिवार्य रूप से कोविड-19 की जांच की जा रही है।
ऐसे पहनें मास्क
-मास्क इस तरह पहने की नाक और मुंह ढके रहे
-मास्क को इस्तेमाल करने के बाद बाहर की तरफ से न छुएं
-सर्जिकल मास्क एक बार से ज्यादा प्रयोग ना करें
-कपड़े के मास्क को अच्छी तरह धोने के बाद ही इस्तेमाल करें
-मास्क को कभी उल्टा इस्तेमाल न करें