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अब समस्याओं के फर्जी निस्तारण पर खैर नहीं, आइजीआरएस के शिकायतों का सत्यापन करेंगे अफसर

अब आइजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम) यानी एकीकृत जनसुनवाई समाधान पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के फर्जी निस्तारण करने वाले विभागों की खैर नहीं होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 02:11 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 02:11 PM (IST)
अब समस्याओं के फर्जी निस्तारण पर खैर नहीं, आइजीआरएस के शिकायतों का सत्यापन करेंगे अफसर
अब समस्याओं के फर्जी निस्तारण पर खैर नहीं, आइजीआरएस के शिकायतों का सत्यापन करेंगे अफसर

वाराणसी, जेएनएन। अब IGRS (Integrated Greaves Redressal System) एकीकृत जनसुनवाई समाधान पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के फर्जी निस्तारण करने वाले विभागों की खैर नहीं होगी। इन शिकायतों का स्थलीय निरीक्षण मंडलायुक्त और जिलाधिकारी कभी भी कर सकते हैं। लोगों द्वारा फर्जी निस्तारण की शिकायतों को देखते हुए शासन ने निर्णय लिया है।

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17 फरवरी को शासन द्वारा भेजा गया आदेश नगर निगम प्रशासन को मिलने के बाद खलबली बढ़ गई है, क्योंकि मंडलायुक्त और जिलाधिकारी अपने मंडल व जिले के समस्त कार्यालयों में आने वाले शिकायतों के लिए सीधे जिम्मेदार होंगे। मंडल स्तर पर इसकी समीक्षा एक मार्च से लागू हो जाएगी। पूर्व में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज होने वाली शिकायतों का संबंधित विभाग अपने स्तर पर देखता था लेकिन अब मुख्यमंत्री कार्यालय सीधे निगरानी करेगा। नए शासनादेश के मुताबिक जिलाधिकारी 40 मामलों की सीधे निगरानी और मौके पर जाकर सत्यापन कर सकते हैं। आइजीआरएस पोर्टल के मुताबिक जिला स्तर के शिकायतों के समाधान के लिए 15 दिन और मुख्यमंत्री या शासन स्तर के शिकायतों के समाधान के लिए 30 दिन का समय होता है। इस समय सीमा में समाधान नहीं होने पर शिकायतें डिफाल्टर की श्रेणी में आ जाती है।

आइजीआरएस पोर्टल पर 24 फरवरी को नगर निगम में दर्ज शिकायतें

मुख्य अभियंता             144

नगर स्वास्थ्य अधिकारी      76

जलकल                   136

आलोक                    18

राजस्व                     23

मुख्यमंत्री पोर्टल पर लेखपाल ने की गड़बड़ रिपोर्टिंग

भदोही तहसीलों के अधिकारी और लेखपाल मुख्यमंत्री को भी दुस्साहसिक तरीके से चकमा देने से बाज नहीं आ रहे हैं। उनकी र्निभकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीएम पोर्टल पर एक साल पुरानी रिपोर्ट अपलोड कर निस्तारण कर दिया। तहसीलदार ने आंख बंद कर अग्रसारित भी कर दिया। गुणवत्ता की जांच कर रहे जिलाधिकारी की नजर पड़ी तो वह भी अवाक रह गए। मामले को गंभीरता से लेते हुए लेखपाल लवकुश तिवारी को निलंबित करने और तहसीलदार ज्ञानपुर से जवाब तलब करने का निर्देश अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र मिश्र को दिया। आइजीआरएस पोर्टल पर मिल रही शिकायतों को अधिकारी मनमानी तरीके से निस्तारित कर दे रहे हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री को भी ठेंगा दिखाते हुए उनके पोटल और हेल्पलाइन पर मिल रही शिकायतों को भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।


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