मोटापे को अब करें बाय-बाय क्योंकि आयुर्वेद में है मोटापे का सटीक इलाज
वर्तमान में मोटापा लोगों के लिए एक गंभीर समस्या है जिससे आयुर्वेद छुटकारा दिला सकता है।
वंदना सिंह, वाराणसी : वर्तमान में मोटापा लोगों के लिए एक गंभीर समस्या है। मोटापा यानी स्थौल्य एक एक बीमारी है जो हर वर्ग के लोगों को हो रही है। इसमें छोटे-छोटे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। आयुर्वेद में इसे मेदोरोग या स्थौल्य कहा जाता है। शरीर में जब मेदधातु की अधिक वृद्धि हो जाती है तब उसे 'मेदोरोग' कहा जाता है। मोटापा बहुत सी बीमारियों को जन्म देता है जैसे डायबिटीज, हाइ ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारिया, स्ट्रोक, अनिद्रा, किडनी की बीमारी, फैटी लिवर, आर्थराइटिस- जोड़ों की बीमारी, आदि। इसलिए समय रहते मोटापे पर काबू पाना बहुत जरुरी हो जाता है। इस वक्त लोग मोटापे से छुटकारा पाने के लिए जिम में खूब वर्कआउट भी करते हैं लेकिन इसमें भी बहुत से लोग स्लिम नहीं हो पा रहे क्योंकि इसकी कई वजह होती है। राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के काय चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार से जानते हैं कि किस प्रकार मोटापे से आयुर्वेद छुटकारा दिला सकता है। शरीर के निर्माण में रस, रक्त, मास, मेद, अस्थि, मज्जा, और शुक्र कुल सात धातुओं का योगदान होता है। इनमें से सभी धातुओं का अलग अलग महत्वपूर्ण कार्य होता है। मेद का कार्य शरीर में स्नेह गुण बनाए रखना है और इसी मेद से अस्थियां बनती हैं। अस्थियों के अंदर रहने वाले लाल वर्ण के मेद से रक्त यानी ब्लड का निर्माण होता है। आचार्य सुश्रुत के अनुसार मेद के क्षय से संधियों यानी जोड़ो में दर्द होने लगता है, खून की कमी होने लगती है और शरीर में रुक्षता होने लगती है। इसी मेद की वृद्धि से पेट के ऊपर और कमर पर चर्बी इकट्ठा होने लगती है और शरीर से दुर्र्गध आने लगती है। इसी बात को आयुर्वेद के महान आचार्य चरक ने बताया है की अत्यधिक मेदवर्धक आहार लेने से मनुष्य में स्थूलता की वृद्धि होने लगती है और इनमें निम्न कठिनाई होने लगती है --- अत्यधिक स्थूलता/मोटापे से होने वाली समस्या
1. मेदस्वी रोगी में केवल मेद धातु की पुष्टि होती है। बाकी धातूओं को पोषण नहीं मिलता और उस वजह से आयु का नाश हो जाता है ।
2. अधिक मोटापे की वजह से व्यक्ति काम करने में असमर्थ होता है उसके भीतर उत्साह नहीं होता है।
3. शुक्र का पोषण न होने से मैथुन की इच्छा कम होने लगती है।
4. शरीर में आवश्यक धातुओं का पोषण ठीक तरह से न होने से थकान और कमजोरी जल्दी लगने लगती है ।
5. मेद वृद्धि से पसीना ज्यादा आता है इसलिए पसीने की वजह से शरीर से दुर्गध आने लगती है।
6. पसीना ज्यादा आता है ।
7. भूख अधिक लगती है ।
8. मेदोरोगी को प्यास भी अधिक लगती है । ऐसे करें अपने मोटापे की गणना-
अपने मोटापे को जानने के लिए सबसे अधिक प्रचलित तरीका है बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स। बीएमआई निकालने के लिए सबसे पहले अपना वजन करें। मीटर में अपनी ऊंचाई देखें। ऊंचाई का वर्ग निकाल लें और वजन में भाग दें। अब जो वैल्यू आती है वही आपकी बीएमआई है। बीएमआई से जानें वजन
18.5 से कम बीएमआई यानी अंडरवेट।
18.5-25 के बीच बीएमआई यानी हेल्दी वेट।
25-30 से बीच बीएमआई यानी ओवरवेट।
30-40 के बीच बीएमआई यानी मोटापे से ग्रस्त।
40 से ज्यादा बीएमआई मतलब ज्यादा मोटापा। कैसे और क्यों आता है मोटापा- 1. अधिक मात्रा में भोजन करना
2. दही, पनीर, फुल क्रीम दूध या दूध के उत्पादों का अधिक सेवन।
3. मिठाई का जरूरत से ज्यादा सेवन।
4. खाने के तुरंत बाद पानी पी लेना।
5. चावल या गेहूं से बनीं चीजों का ज्यादा सेवन।
6. दोपहर के भोजन के तुरंत बाद सो जाना।
7. खान-पान का गलत मेल, जैसे दूध के साथ केला या मासाहारी भोजन करना।
8. वसायुक्त भोजन का अधिक सेवन।
9. शर्करायुक्त भोजन करना।
10. कोई मेहनत का काम नहीं करना।
11. आलस्य पूर्वक रहना।
12. हमेशा सोते रहना। मोटापे का इलाज
आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी औषधियों हैं जो मोटापे के लिए बेहद फायदेमंद हैं और इनके उपयोग से मोटापे को दूर किया जा सकता है।
1. गुडूची, नागरमोथा, त्रिफला का सेवन मधूदक यानी शहद के पानी के साथ लेने से मोटापा कम होता है।
2. अमला के चूर्ण, शुंठी, क्षार आदि के प्रयोग से मोटापा कम किया जा सकता है।
3. जौ के आटे, बृहद पंचमूल के सेवन से लाभ मिलता है।
4. अग्निमंथ का सेवन शिलाजीत के साथ करने से भी मोटापा दूर होता है।
5. खान पान के अलावा रातभर जागने से, व्यायाम से और मानसिक परिश्रम से भी वजन कम होता है।
6. पंचकर्म चिकित्सा विधाओं जैसे वमन, विरेचन, उपवर्तन, स्वेदन और वस्ति द्वारा भी मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है।
7. कम प्रोटीन और वसा वाली हल्की दालों मूंग, मसूर को प्राथमिकता देनी चाहिए। उड़द राजमा छोले आदि से परहेज करना चाहिए।