Mahashivratri 2020 : अयोध्या की नूर फातिमा काशी में नमाज संग करती हैं शिव का भी जलाभिषेक
सुबह के नैत्यिक नमाज के साथ अपने घर में बने मंदिर में शिव का जलाभिषेक नूर फातिमा के जीवन का हिस्सा बन चुका है।
वाराणसी [वंदना सिंह]। काशी की साझी विरासत को करीब से देखना है तो आप नूर फातिमा और शिव के प्रति उनकी आस्था को देख सकते हैं। सुबह के नैत्यिक नमाज के साथ अपने घर में बने मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करना नूर फातिमा के जीवन का अब अहम हिस्सा बन चुका है। हर दिन सुबह शाम वह भगवान शिव के धाम में शीश झुका कर परिवार और लोगों के कल्याण की मन्नत मांगती हैं। वहीं हर दिन अल्लाह को भी याद करना नहीं भूलतीं।
फैजाबाद (अयोध्या) जिले में जन्मीं नूर फातिमा ने बनारस में खुद के प्रयास से शिवमंदिर बनवाया है जो गंगा जमुनी तहजीब की अनोखी मिसाल है। पेशे से अधिवक्ता नूर फातिमा बताती हैं कि भगवान श्रीराम से तो जन्म से ही नाता था मगर शिव से भी रिश्ता अब काशी में गहरा हो गया है। मेरी ससुराल लक्ष्मणपुरी यानि लखनऊ है। पति रेलवे में पोस्टेड थे लिहाजा शादी के बाद बनारस आ गई। ईश्वर की कृपा से दो बेटियां हैं, एक इंजीनियर आैर दूसरी बड़ी कंपनी में मैनेजर है। मेरे मायके के घर अयोध्या में कई हिंदू किराएदार रहते थे, हम हर त्योहार मिल जुल कर मनाते थे तो ईश्वर में आस्था बचपन से ही थी।
अब नूर फातिमा के घर में ईश्वर और अल्लाह की इबादत होती है। काशी में शिव हैं तो कण कण में ईश्वर की मान्यता को नूर फातिमा ने भी कुबूल कर लिया है। हर सुबह की शुरुआत नजाज के साथ ही हर हर महादेव के साथ होती है। गणेशपुर कालोनी में एक मुस्लिम के घर में मंदिर बाहर के लोगों के लिए अनोखा भले हो मगर कालोनी के लोगों के लिए आस्था का भी विषय है।
आस्था ने कुछ यों किया बदलाव
उन दिनों गुजरात के भुज में भूकंप आया था। वहां सब तबाह हो गया था। मेरे दिमाग में आया काशी शिव के त्रिशूल पर टिकी है यहां का विनाश नहीं हो सकता इसलिए पति से कहा हम यहीं घर बनवाकर रहेंगे। गणेशपुर कालोनी में जमीन ली और घर बनवाया। वर्ष 2003 में घर बन गया। उस वक्त मुझे सपने में अक्सर सफेद रंग का मंदिर दिखाई देता जहां पर पूजा करती दिखती थी तो लोगों से भी पूछा। उधर मेरे मकान में घर की ईंट शिवनाथ भट्ठे वाले और बालू आदि शिव सरदार के यहां से आया था। तो शुरू से ही शिव नाम जुड़ रहा था। घर बन गया और सवा महीने बाद मेरे घर के आगे पीछे रहने वालों के यहां कई मौते हुईं। यहां तक किे मेरे पति की भी एक्सीडेंट में मौत हो गई। उस वक्त शाम को हर घर से रोने की आवाजें आती थीं। मेरे घर में शार्ट सर्किट से आग लग गई मगर हम बच गए। नूर फातिमा ने बताया गणेशपुर में शिव का मंदिर बनवाने का विचार आया। सारे कालोनी के लोगों ने सहमति दी।
सहयोग से हुई मंदिर की स्थापना
जन सहयोग, वकीलों और स्वयं के पैसे से मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। मुरारी बापू सहित कई संतों ने भी सहयोग किया। संकटमोचन मंदिर के महंत स्व. वीरभद्र मिश्र से शिलान्यास कराया। वर्ष 2004 को मंदिर बनकर तैयार हो गया। इस बीच शिव की मूर्ति मेरे घर में रखी थी। जिस दिन मंदिर में स्थापित करना था मूर्ति उठ ही नहीं पा रही थी। ऐसा लगा कि शिवजी मेरे घर से जाना नहीं चाहते। मैं खुश थी, प्रभु से मनाया मेरा सौभाग्य है कि आप मेरे पास रहना चाहते हैं। मैंने मनाया कि हर सुबह शाम आपके मंदिर में दर्शन करुंगी। इसके बाद मूर्ति उठ गई। मंदिर में लोग दर्शन करने आने लगे। मंदिर में शिव परिवार सहित मूर्ति एवं शिवलिंग दोनों स्थापित है। मंदिर का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के जज तरुण चटर्जी ने किया था। सावन, शिवरात्रि पर विशेष पूजन किया जाता है। हर सोमवार को महिलाएं मंदिर में भजन व पूजा करती हैं। आज इस मंदिर में भक्तों का तांता लगता है।