वाराणसी में बोगियों की टेस्टिंग के लिए अब नहीं चलेंगे जनरेटर, पूर्वोत्तर रेलवे बचाएगा डीजल
पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन अब डीजल बचाने की कवायद कर रहा है। इस क्रम में कोच में पिट अनुरक्षण के लिए डीजल चालित जनरेटर की बजाए बिजली से की जाएगी।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन अब डीजल बचाने की कवायद कर रहा है। इस क्रम में कोच में पिट अनुरक्षण के लिए डीजल चालित जनरेटर की बजाए बिजली से की जाएगी। इसके लिए अलग से ट्रांसफार्मर लगाया जा रहा है। इस कवायद से सभी बोगियों में बिजली आपूर्ति की टेस्टिंग समेत उपकरणों के संचालन सुनिश्चित हो सकेगा। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि तकनीकी तौर पर एलएचबी (लिंक हाफमैन बुश) रैक के पिट अनुरक्षण के दौरान पावर कार के स्थान पर ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाएगा।
500 केवीए क्षमता वाले ट्रांसफार्मर का शीघ्र होगा प्रयोग
पावर कार के स्थान पर ट्रांसफार्मर का उपयोग लाभप्रद है। इस प्रणाली से जहां डीजल की बचत होगी वहीं, प्रदूषण से भी निजात मिलेगी। अभी तक एलएचबी रैक के पिट अनुरक्षण के दौरान दो पावर कार का प्रयोग होता है जिनमें चार डीजी सेट लगे होते हैं। एलएचबी रैक के पिट अनुरक्षण का कार्य करीब पांच घंटे तक चलता है जिसमें इस्तेमाल दो पावर कार में लगे कुल चार डीजी सेट में करीब 400 लीटर हाइस्पीड डीजल (एचएसडी) खर्च होता है जिसकी अनुमानित लागत करीब 30 हजार होती है। साथ ही अनुरक्षण के दौरान डीजी सेटों से निकलने वाला कार्बन पर्यावरण के अनुकूल नहीं होता। एलएचबी रैकों के पिट अनुरक्षण में 500 केवीए क्षमता वाले ट्रांसफार्मर का शीघ्र प्रयोग होगा।