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वाराणसी के गंगा घाट पर कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज से नहीं लिया जाएगा कोई शुल्‍क : नीलकंठ तिवारी

उत्तर प्रदेश के पर्यटन संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 04:56 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 02:17 AM (IST)
वाराणसी के गंगा घाट पर कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज से नहीं लिया जाएगा कोई शुल्‍क : नीलकंठ तिवारी
वाराणसी के गंगा घाट पर कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज से नहीं लिया जाएगा कोई शुल्‍क : नीलकंठ तिवारी

वाराणसी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा लोग अपनी इच्छानुसार इच्छुक हो तो रजिस्ट्रेशन कराएं, अन्यथा इसके लिए भी कोई बाध्यता नहीं होगी।

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गंगा घाटों पर गंगा आरती के लिए आयोजकों से सालाना तथा गंगा घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ कराने, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडो से नगर निगम द्वारा शुल्क लिए जाने की घोषणा की गयी थी। जिसे संज्ञान देते हुए उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं नगर आयुक्त गौरांग राठी से फोन पर वार्ता कर इसे अव्यवहारिक बताते हुए इस पर तत्काल रोक लगाए जाने हेतु कहां है। मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहां की काशी एक धार्मिक नगरी है, पूरी दुनिया से लोग यहां पर आकर गंगा के घाटों पर पूजन पाठ एवं धार्मिक कार्य के साथ-साथ कर्मकांड यहां के विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा कराते हैं। ऐसी स्थिति में पंडों से शुल्क लिया जाना कतई व्यवहारिक नहीं है।

इसे गजट न समझें, वापस होगा आदेश, बोले नगर आयुक्त

नगर आयुक्त गौरांग राठी ने गुरुवार को कैंप कार्यालय में अफसरों के साथ बैठक कर गंगा घाट पर धार्मिक अनुष्ठान करने वाले पंडा समाज से शुल्क लेने के आदेश पर मंथन किया। नगर आयुक्त ने स्पष्ट किया कि अखबार में प्रकाशित विज्ञापन को गजट न समझें। पूरा मामला संज्ञान में आया है। इसके लिए अधिवक्ता, पंडा समाज, जनप्रतिनिधियों से विमर्श कर किया जाएगा जिसके बाद इस आदेश को वापस लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस आदेश से पहले घाट पर सर्वे हुआ था। देखा गया कि कई धार्मिक गतिविधियां हो रही हैं। इसके कुछ ऐसे लोग भी हैं जो आय का साधन भी बना रखे हैं जिसके बाद दो सदस्यीय टीम बनाकर शुल्क का प्राविधान करने का निर्णय हुआ। टीम ने नगर निगम अधिनियम का अध्ययन किया और वर्ष 1999 में जारी शासनादेश को आधार बनाते हुए शुल्क लेने का नियम बनाया जिसे मीडिया में प्रकाशित कर दिया गया। मामला संज्ञान में आने के बाद निर्णय हुआ है कि इस मामले में विचार-विमर्श पर आदेश वापस होगा।     


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