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भगोड़े नित्‍यानंद के समर्थकों के कब्‍जे से काशी में धर्मशाला खाली कराने के लिए प्रशासन कर रहा समझौता

सारा खेल विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए खाली कराए जा रहे भवनों के एवज में मिल रही मोटी रकम को लेकर है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:21 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 11:55 AM (IST)
भगोड़े नित्‍यानंद के समर्थकों के कब्‍जे से काशी में धर्मशाला खाली कराने के लिए प्रशासन कर रहा समझौता
भगोड़े नित्‍यानंद के समर्थकों के कब्‍जे से काशी में धर्मशाला खाली कराने के लिए प्रशासन कर रहा समझौता

वाराणसी, जेएनएन। हद है, अतिक्रमणकारी ही मुआवजा मांग रहे हैं। जिस संपत्ति का मालिक नगर निगम है वह समझौते की स्थिति में आ गया है। सारा खेल विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए खाली कराए जा रहे भवनों के एवज में मिल रही मोटी रकम को लेकर है। सूत्रों के अनुसार मणिकर्णिका घाट के समीप स्थित भिखारी धर्मशाला के भूतल में कब्जा कर तबेला चलाने वालों को भी जगह खाली करने के लिए 20 लाख रुपये का आफर दिया गया है। 

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उधर, धर्मशाला के अन्य हिस्से में कब्जा किए दुष्कर्म के आरोपित भगोड़े नित्यानंद के समर्थकों ने भी धर्मशाला को छोडऩे के एवज में मणिकर्णिका घाट स्थित अमेठी स्टेट के त्रिपुर सुंदरी मंदिर को सौंपने की जिला प्रशासन से मांग की है। दरअसल, विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए भिखारी धर्मशाला भी महत्वपूर्ण है। इस पर कब्जा किए बिना कॉरिडोर का निर्माण अधूरा रहेगा। ऐसे में कॉरिडोर निर्माण से जुड़े लोग हर हाल में धर्मशाला पर कब्जा चाहते हैं। अधिकारियों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए अतिक्रमणकारियों ने कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से दोबारा कब्जा कर लिया है और समझौते के लिए दबाव बनाने को धर्मशाला पर अपना हक जताते हुए कूटरचित दस्तावेज के आधार पर मामले को कोर्ट लेकर चले गए।   

हर हाल में चाहते हैं मणिकर्णिका घाट के आसपास मंदिर

नित्यानंद और उसके समर्थक हर हाल में मणिकर्णिका घाट के आसपास अपना ठिकाना बनाना चाहते हैं क्योंकि स्वयंभू बाबा नित्यानंद की दुकानदारी भी इसी महाश्मशान के नाम से चलती है। दरअसल, नित्यानंद के अनुयायियों को यह बताया जाता है कि दक्षिण भारत के रहने वाले नित्यानंद ने 11 वर्ष की अवस्था में परिवार का त्याग कर दिया था और काशी आ गए थे। काशी में मणिकर्णिका घाट पर आठ साल तक तप कर सिद्धी हासिल की है। उधर, घाट के आसपास रहने वालों का दावा है कि नित्यानंद ने मणिकर्णिका घाट पर कभी तप किया ही नहीं था। अपने को काशी और महाश्मशान से जुड़ा बताने के लिए ही नित्यानंद और उसके समर्थक लगातार घाट के आसपास अवैध तरीके से मठ, मंदिर, धर्मशाला पर कब्जा करना चाहते हैं। 


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