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Nirbhaya Case : निर्भया के गांव वालों को कानून पर था पूरा भरोसा, फांसी पर ही मिलेगा सच्चा न्याय

बलिया में निर्भया के दरिंदों को फांसी देने के फैसले का हर किसी ने स्वागत किया है। गांव की महिलाएं हों या युवतियां सभी को इस घड़ी का इंतजार था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 19 Mar 2020 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 07:56 AM (IST)
Nirbhaya Case : निर्भया के गांव वालों को कानून पर था पूरा भरोसा, फांसी पर ही मिलेगा सच्चा न्याय
Nirbhaya Case : निर्भया के गांव वालों को कानून पर था पूरा भरोसा, फांसी पर ही मिलेगा सच्चा न्याय

बलिया, जेएनएन। निर्भया के दरिंदों को फांसी देने के फैसले का हर किसी ने स्वागत किया है। गुरुवार को कोर्ट के फैसले की सूचना आते ही पूरे जिले में खुशी की लहर छा गई। निर्भया के गांव में हर कोई प्रसन्न दिखा। गांव की महिलाएं हों या युवतियां सभी को इस घड़ी का इंतजार था।

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चारों दोषियों को फांसी देने की खबर सुनकर गांव में हर उम्र के लोगों को काफी सुकून मिला। इस बहुचर्चित कांड के चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। गांव की युवतियों ने कहा कि देर से ही सही, हमें कानून पर पूरा भरोसा था। कानूनी पेच के बाद भी गांव के लोगों को भरोसा था कि निर्भया को न्याय मिलेगा। अब उसकी आत्मा को सुकून मिलेगा। कोर्ट का फैसला सुनकर गांव के लोग काफी खुश नजर आए।

यह हुई थी घटना

यह सही है कि निर्भया के गांव ही नहीं, पूरे देश  के लिए वह काला दिन 16 दिसम्बर 2012 था, जब निर्भया के साथ दिल्ली में गैंगरेप की दर्दनाक घटना घटी थी। घटना के बाद लगभग 15 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझती निर्भया ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था। उस वक्त सभी की मांग पर महिला सुरक्षा से संबंधित कई कानून को अमलीजामा पहनाया गया। इस भयानक व घिनौने अपराध ने देश की सभी बेटियों सहित आम अभिभावकों को झकझोर दिया था।

निर्भया की मां का संघर्ष लाया रंग

निर्भया के गांव के लोगों ने कहा कि उसकी मां ने न्याय के लिए लंबा संघर्ष किया। वह बेटी के न्याय के लिए कोर्ट का चक्कर लगाती रहीं। वह सरकार से लेकर कोर्ट तक दौड़ कर थक गई थीं। इस फैसले से समाज में अपराधियों के अंदर डर का संदेश जाएगा।

किन्नरों ने किया था शिव तांडव

निर्भया के दोषियों की फांसी पर लगी रोक से नाराज होकर किन्नर अनुष्का ने अपनी टीम के साथ मालगोदाम रोड स्थित शिव मंदिर में शिव तांडव किया था। साथ ही फांसी देने के लिए आराधना की थीं। उनका तर्क था कि फांसी पर लगने वाली बार-बार की रोक से पीड़ित परिवार को दोहरा कष्ट झेलना पड़ रहा है। उस समय आरोपियों के वकील पर भी किन्नर अनुष्का ने आरोप लगाते हुए कहा था कि जानबूझकर गुनाहगारों को बचाने की कोशिश की जा रही है जो उचित नहीं है। अनुष्का किन्नर का कहना था कि बेटी घर की लक्ष्मी होती है। ऐसे में निर्भया जैसी बेटी के गुनहगारों को फांसी की सजा नहीं बल्कि उनके हाथ और पैर काट देने चाहिए।

जब सीएमओ के बयान से हुई थी किरकिरी

पूरे देश को झकझोर देने वाली निर्भया कांड पर गत दिनों मुख्य चिकित्सा अधिकारी के बयान की चहुंओर निंदा हुई थी। इसके लिए उसके दादा संग ग्रामीण आत्मदाह तक का एलान कर दिए थे। इससे प्रशासन के होश उड़ गए थे। निर्भया के गांव में उसके परिजन व गांव की जनता वहां निर्भया के नाम से बने स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक की तैनाती की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे। अनशनकारियों से वार्ता करने पहुंचे मुख्य चिकित्साधिकारी ने वार्ता के दौरान कुछ बेतुकी बातें कह दी थी।

इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसमें सीएमओ कह रहे थे कि आखिर निर्भया को दिल्ली क्यों भेज दिए ? उनका यह भी कहना है कि निर्भया के गांव में किसी ने भी डॉक्टर की पढ़ाई तो की नहीं और यहां के लोगों को डॉक्टर चाहिए। सीएमओ ने अश्वनी पाण्डेय से कहा कि पहले यहां के लोगों को डॉक्टर की पढ़ाई कराएं, फिर इसी अस्पताल में तैनात कराएं। इस गांव ने डॉक्टर तो बनाया नहीं तो अस्पताल क्यों खुलवाया। हम कहां से डॉक्टर लाएं, जितने पद हैं उतने डॉक्टर हैं नहीं। इस बयान पर बवाल हो गया था। काफी मान मनौव्वल के बाद मामला शांत हुआ था।


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