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वाराणसी कैंट स्टेशन पर न तो पानी की शुद्धता मापते, न ही एसटीपी लगाया

ठोस व तरल कचरा प्रबंधन को लेकर कैंट स्टेशन पर कोई इंतजाम नहीं है। न तो पानी की शुद्धता मापने के लिए कोई संयंत्र लगा है और न ही नाले में बहते सीवेज के लिए एसटीपी ही स्थापित है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 01:27 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 01:27 PM (IST)
वाराणसी कैंट स्टेशन पर न तो पानी की शुद्धता मापते, न ही एसटीपी लगाया
वाराणसी कैंट स्टेशन पर न तो पानी की शुद्धता मापते, न ही एसटीपी लगाया

वाराणसी, जेएनएन। ठोस व तरल कचरा प्रबंधन को लेकर कैंट स्टेशन पर कोई इंतजाम नहीं है। न तो पानी की शुद्धता मापने के लिए कोई संयंत्र लगा है और न ही नाले में बहते सीवेज के लिए एसटीपी ही स्थापित है। ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर भी कोई संयंत्र नहीं लगे हैं। कैंट स्टेशन के इस सच का उजागर गुरुवार को तब हुआ जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञ जांच को पहुंचे। पूरी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भेजी जाएगी।

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एनजीटी के आदेश पर पर सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की तीन सदस्यीय टीम स्टेशन पहुंची थी। यहां पर मानकों के अनुसार विभिन्न स्थानों से नमूने लिए गए जिसे जांच के लिए मुख्यालय भेजा गया। जांच की रिपोर्ट आने में 10 से 12 दिन का समय लगेगा। आइएसओ प्रमाणित कैंट स्टेशन को आगामी समय में ईको स्मार्ट स्टेशन का दर्जा मिले, नई दिल्ली से एनजीटी के आदेश पर कैंट स्टेशन पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने सभी प्लेटफार्म पर साफ-सफाई का निरीक्षण किया। खान-पान की गुणवत्ता को देखा। क्रियान्वित विभिन्न विकास कार्यों का अवलोकन किया। स्टेशन परिसर के नाले में गिर रहे गंदे पानी के नमूने लिए। देश भर के 720 स्टेशनों में अब तक कोई भी स्टेशन इको स्मार्ट की श्रेणी में नहीं आया है। कैंट रेलवे स्टेशन सहित 36 स्टेशनों पर सीपीसीबी के सदस्य एनजीटी के आदेश पर निरीक्षण कर चुके हैं। पानी में बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन, केमिकल ऑक्सीजन के साथ ही प्रोटेंट की सही मात्रा, वायु प्रदूषण, साफ-सफाई के साथ ही खानपान की गुणवत्ता मानक के अनुसार होनी चाहिए।

जलकल के महाप्रबंधक से गुहार लगाने पर भी नहीं हो रहा सुधार

महीनों से सीवर ओवरफ्लो के कारण लोग परेशान हैं और जलकल विभाग को कोई परवाह नहीं है। लोगों ने इसकी जानकारी लिखित और फोन करके भी दी लेकिन कोई अधिकारी न तो मौके पर गया और न ही किसी कर्मचारी को भेजकर समस्या का समाधान कराया। विजया तिराहा से लेकर शिवाला रोड तक लबे सड़क महीनों से सीवर ओवरफ्लो होकर बह रहा है। इसकी शिकायत तीन जनवरी को स्थानीय लोगों ने महाप्रबंधक से की थी। साथ ही जेई को भी फोनकर इसकी जानकारी दी लेकिन अब तक सीवर की सफाई नहीं हुई है। क्षेत्रीय पार्षद भी इस मामले में प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं। लोगों ने इस मामले में नगर आयुक्त से हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की है।

उधर, दुर्गाकुंड के कैवल्यधाम विस्तार में पिछले एक साल से सीवर लाइन ध्वस्त है। इससे आए दिन जलजमाव के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे में लोग जलकल के महाप्रबंधक को जानकारी दे चुके हैं। बावजूद इसके कोई राहत नहीं मिल रही है। इस संबंध में जलकल के महाप्रबंधक नीरज गौड़ का कहना है कि दोनों समस्याओं का जल्द समाधान कराया जाएगा।


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