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बेपरवाही : चौबेपुर में खुला नाला आफत का परकाला

धौरहरा में लगभग दो किलोमीटर खुला नाला आफत का परकाला बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 09:05 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 09:05 AM (IST)
बेपरवाही : चौबेपुर में खुला नाला आफत का परकाला
बेपरवाही : चौबेपुर में खुला नाला आफत का परकाला

वाराणसी : धौरहरा में इस छोर से उस ओर तक लगभग दो किलोमीटर खुला नाला आफत का परकाला बना हुआ है। चौबेपुर से लेकर आसपास के गांवों का पानी इसमें भरा रहता है। संक्रामक और वेक्टर बार्न डिजीज का सीजन शुरू होने के बाद भी अब तक संबंधित विभाग की ओर से इसकी सफाई नहीं कराई गई। पिछले माह बड़ी संख्या में लोगों के बुखार पीड़ित होने के बाद भी अधिकारियों द्वारा इसकी सुध नहीं ली गई। दरअसल, शासन की ओर से भले मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए दायित्व सौंपते हुए कार्य करने का निर्देश दिया गया हो लेकिन विभागीय स्तर पर प्रयास नहीं दिख रहा। इसका परिणाम है कि नाला मच्छरों का प्रजनन केंद्र व उनकी सैरगाह बना हुआ है। पिछले वर्षो में इसे बंद करने के लिए पाइप जरूर लगाई गई लेकिन यह कुछ दूर तक ही सीमित रह गया। कई स्थानों पर अतिक्रमण के कारण अब नाले का पानी गोमती नदी तक पहुंचने की बजाय बजबजाता रहता है। घर-घर पानी की टंकियों में पनप रहे मच्छर के लार्वा

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गांव में जलापूर्ति सीमित होने के कारण घर-घर जल संग्रह के लिए टंकियां बनाई गई हैं। इनमें कई अंडरग्राउंड या खुले में हैं। इनका पानी हफ्तों उसमें जमा रहता है। इससे भी मच्छरों खास कर डेंगू के लार्वा पनपने का खतरा बना रहता है। चेतावनी भी बेअसर

धौरहरा में पिछली बार बड़ी संख्या में लोगों के बुखार पीड़ित होने की सूचना के बाद मलेरिया विभाग की जांच में नाला और घर-घर टंकियों में पानी जमा किए जाने को खतरनाक बताया था। इसके बाद भी बेपरवाही जारी है। डीएमओ शरदचंद्र पांडेय के अनुसार डेंगू के मामले में बचाव बड़ा मसला है। निजी स्तर पर जागरूकता और सभी विभागों के समन्वित प्रयास से ही इससे बचाव हो सकता है।

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डेंगू से डरे नहीं, सतर्क रहें

जासं., वाराणसी : डेंगू से डरने की नहीं, सतर्क रहने की आवश्यकता है। थोड़ी एहतियात से इससे बचा जा सकता है। इसकी चपेट में आ भी गए तो डाक्टरी सलाह और पोषक आहार से स्वस्थ हो सकते हैं। वास्तव में यह वायरल बुखार की तरह ही है। शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल व दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में इसके नि:शुल्क जांच व इलाज की व्यवस्था है। बीएचयू व पं. दीनदयाल अस्पताल की एलाइजा जांच से ही डेंगू पुष्ट माना जाता है। बचाव : घर के आसपास गढ्डों में साफ पानी भी न जमने दें या उसमें केरोसिन डालें। कूलर का पानी बदलते रहें। मटकी, प्रयोग किए टायर, डब्बे आदि में एकत्र पानी गिरा दें। पूरी बांह के कपड़े पहनें। दिन में सोते समय भी मच्छरदानी लगाकर ही सोएं।

लक्षण : डेंगू के लक्षण ज्यादातर वायरल फीवर से होते हैं। इसमें तेज बुखार, शरीर का तापमान कम न होना, सिर व बदन में तेज दर्द, पेट और आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द व अकड़न, शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। स्थिति गंभीर होने पर मिचली-उल्टी व रक्त स्राव हो सकता है। इस अवस्था को डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहते हैं।

बच्चे अधिक संदेनशील : बच्चे व बुजुर्ग डेंगू के प्रति अधिक संवेदी होते हैं। मधुमेह के रोगी भी इसकी चपेट में जल्दी आते हैं। ऐसे में इनके प्रति अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।

अन्य कारणों से भी गिर सकता है प्लेटलेट : व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्रति क्यूबिक मिमी होना चाहिए। डेंगू के साथ मलेरिया, टायफाइड, ल्यूकिमिया आदि कारणों से भी कम हो सकता है। डेंगू के मामले में 30 हजार से कम प्लेटलेट होने पर नाक या मलद्वार से रक्त स्त्राव होने लगता है। प्लेटलेट गिरने से घबड़ाने की आवश्यकता नहीं है, खानपान से सामान्य हो जाता है।

80 फीसद मामलों में पोषक आहार से बेड़ा पार : शरीर पर लाल चकत्ते दिखें तो मरीज को अस्पताल ले जाएं। चिकित्सक की सलाह से दवा लें। खानपान पर विशेष ध्यान दें। हरी सब्जी, मौसमी फल और तरल पदार्थ यथा दाल का पानी, दूध, सूप, जूस आदि ज्यादा मात्रा में सेवन करें। डेंगू के मामले में 80 फीसद पोषक आहार व सामान्य दवाएं लेने से ही स्वस्थ हो जाते हैं।


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