Neet 2020 : वाराणसी में बुनकर के बेटे उमर फारूख ने नीट में मारी बाजी, 200 मेधावियों को मिली सफलता
नेशनल एलिजिब्लिटी कम एंट्रेंस टेस्ट में वाराणसी के बुनकर के बेटे उमर फारूख अंसारी आल इंडिया स्तर पर सामान्य वर्ग में 283वां व ओबोसी में मिला 65 वां स्थान मिला है। फारूख आल इंडिया स्तर पर सामान्य वर्ग में 283वां व ओबोसी में मिला 65 वां स्थान मिला है।
वाराणसी, जेएनएन। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की नेशनल एलिजिब्लिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट-2020) में मेधावियों ने जनपद का मान बढ़ाया है। जनपद के विभिन्न कोचिंग संस्थानों के मुताबिक जनपद के करीब 200 विद्यार्थियों को नीट में सफलता मिली है। वहीं बुनकर के बेटे उमर फारूख अंसारी आल इंडिया स्तर पर सामान्य वर्ग में 283वां व ओबोसी में मिला 65 वां स्थान मिला है। शुक्रवार को कोचिंग संस्थान देररात तक परिणाम देखने में जुटे रहे। वहीं सर्वर धीमा होने व बीच-बीच में हैंक करने के कारण सभी छात्रों का रिजल्ट डाउनलोड नहीं कर सके। ऐसे में सफल विद्यार्थियों की सटीक जानकारी अब 17 अक्टूबर को मिलने की संभावना है।
मेडिकल कालेजों के एमबीबीएस व बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए नीट की परीक्षा 13 सितंबर को हुई थी। जनपद में करीब 25000 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। इसमें से 85 फीसदी से परीक्षार्थियों ने परीक्षा दिया था। वहीं शुक्रवार को परिणाम घोषित होने से सफल छात्रों का मेडिकल कालेजों में दाखिले का मार्ग प्रशस्त हो गया है। घास बाजार (मऊ) निवासी उमर फारूख अंसारी ने जागरण प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए बताया कि पावरलूम की खटर-पटर का संगीत मेरे लिए आज वरदान साबित हो रहा है जब मैंने नीट का रिजल्ट देखा। पावरलूम की इसी धुन के बीच मेरे पढऩे की धुन ने मुझे इस मुकाम पर खड़ा कर दिया जहां में नीट की परीक्षा में 720 अंक में से 690 प्राप्त कर सका। कहा कि जब अपना नीट का रिजल्ट देखा तो उन्हें अपना वह सपना साकार होता प्रतीत हुआ जो उन्होंने अपनी माता कैसरजहां की चार वर्ष पूर्व हृदयाघात से मौत के समय एक अच्छे चिकित्सक बनने का देखा था। उमर के पिता अरशद अली अंसारी मऊ के घास बाजार निवासी बुनकर परिवार से हैं और हकीमी दवा की दुकान चलाते हैं। उमर ने हाई स्कूल मऊ के एक विद्यालय से पास किया। मां की 2016 में असामयिक मृत्यु के बाद बजरडीहा स्थित अपने बुनकर नाना अब्दुल अलीम (हाजी कासिम) के यहां से रहकर इंटर की परीक्षा 88.89 फीसद से सेंट्रल हिन्दू ब्वायज स्कूल से पास किया। इसके बाद जेआरएस कोचिंग में प्रवेश करने के लिए आयोजित ब्रिलिएंट 35 में स्थान आने से संस्थान ने उन्हें निश्शुल्क नीट के लिए कोचिंग कराया। उमर फारुख अंसारी बताते है कि उनकी सफलता का श्रेय जेआरएस कोचिंग के निदेशक एके झा व संस्थान के अध्यापकों है। उमर के अनुसार मेरे घर में आज भी पिता जी दवा की पुडिय़ा बनाकर बेचते हैं। बजरडीहा स्थित नाना के यहां बुनकरी का कार्य होता है लेकिन घर व ननिहाल के लोगों का पूरा सहयोग मुझे मिला। नानी के घर केवल मैं पढ़ाई करता था। कोई काम नहीं करने दिया जाता था। केवल छह घंटे सोता हूं और पांचों समय की नमाज पढ़ता हूं। खुदा की देन है कि मुझे मेरी मंजिल मिल गयी। इससे मेरी दिवंगत मां की रूह को शांति मिलेगी और मैं मेरे पिता व नाना- नानी मामा के अरमानों को पूरा कर सकूंगा।