कोल इंडिया के वेतन समझौते के विरोध में एनसीएल के अधिकारी उतरे सड़क पर
भारत सरकार की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के अधिकारियों का वेतन समझौते के दौरान कम होने के बाद बुधवार को कंपनी के अधिकारी सड़क पर उतर आए।
सोनभद्र (जेएनएन) । भारत सरकार की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के अधिकारियों के का वेतन समझौते में कम होने के बाद बुधवार को कंपनी के अधिकारी सड़क पर उतर आए। कोल इंडिया एवं सिंगरेनी कोलियरी कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के कुल 20 हजार से अधिक अधिकारियों में से 1700 अधिकारी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) में पदस्थ हैं और हाल ही में लागू तीसरे वेतन समझौते (थर्ड पीआरसी) के पश्चात उनका आक्रोश चरम पर है।
बुधवार शाम एनसीएल के सभी कोयला क्षेत्रों एवं इकाइयों से इन अधिकारियों का सैलाब एनसीएल मुख्यालय पहुंचा और जूलुस, मशाल, पुतला दहन, भाषण सहित अपनी बात रखने के लिए उन्होंने हर शांत एवं संयत तरीका अपनाया। कोयला अधिकारियों को भरोसा है कि भारत सरकार एवं कोल इंडिया प्रबंधन उनकी जरूर सुनेगी और उन्हें उनका वाजिब हक मिलेगा। यदि नहीं मिला तो आंदोलन उग्र होगा और काम बाधित कर भी सोए हुए जिम्मेदारों को जगाया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि जिस कंपनी के कोयले से देश की 70 प्रतिशत से अधिक बिजली बनती है और देश को रोशन करने के लिए जो अधिकारी दिन-रात की परवाह किए बगैर प्रकृत्ति के विरूद्ध कठिनतम परिस्थितियों में कोयला खदानों में कार्य करते हैं, सरकार उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है। वे चाहते हैं कि कोल इंडिया की तरह ही देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरी करने में लगी कंपनी ओएनजीसी के पे-स्केल की तर्ज पर उन्हें भी वेतन मिले। मामला सिर्फ वेतन का ही नहीं है, सवाल प्रतिष्ठा, आत्मसम्मान और बराबरी का भी है।
उबाल कई अन्य मुद्दों पर भी है। कोल माइंस पेंशन स्कीम (सीएमपीएस) के नए प्रावधानों के तहत पेंशन मद हेतु तनख्वाह से हर महीने मूल वेतन की 7 प्रतिशत राशि की अतिरिक्त कटौती शुरू की गई है। अधिकारियों की मांग है कि इसे या तो वापस लिया जाए या एच्छिक बनाया जाए, क्योंकि इतनी राशि यदि की किसी प्राइवेट या अन्य पेंशन स्कीम में डाली जाए, तो रिटर्न कई गुना बेहतर मिलेगा। कोयला खदानों में दुरूह कार्य करने के लिए पहले से मिल रहा मूल वेतन का 7 प्रतिशत कोलफील्ड्स भत्ता भी नए पे-रीविजन में समाप्त कर दिया गया है, जो न्यायसंगत नहीं है और कतई स्वीकार्य नहीं है। एलटीसी एवं एलएलटीसी जैसे भत्तों को अलग से न देकर इसे सैलरी के साथ दिए जाने वाले भत्तों में जोड़ दिया गया है, जो मुनासिब नहीं है। अधिकारी चाहते हैं कि उन्हें कई अन्य सुविधाएं दी जाएं, जो सरकार की अन्य महारत्न कंपनियों ओएनजीसी, आईओसीएल, एनटीपीसी आदि के अधिकारियों को मिलती है।
बुधवार शाम अधिकारियों के विशाल प्रदर्शन में एनसीएल कोल माइंस ऑफिसर्स असोशिएशन (सीएमओएआई) के अध्यक्ष श्री तारकेश्वर प्रसाद, महासचिव श्री सर्वेश सिंह, कंपनी के सभी कोयला क्षेत्रों के सीएमओएआई के पदाधिकारियों के साथ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।