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नवरात्र 2020 : भगवान शिव की काशी में विराजती हैं नौ देवियां, जानिए कहां बने हैं मंदिर

नवरात्र 2020 वाराणसी आने वाले नौ प्रमुख देवी मंदिरों में दर्शन पूजन करना नहीं भूलते। काशी में नव दुर्गा की मान्‍यताओं के यह मंदिर जन जन की आस्‍था का केंद्र हैं। देवी के मंदिर काशी में नौ अलग अलग स्‍थानों पर प्राचीन काल से ही मौजूद माने जाते हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 10:48 AM (IST)
नवरात्र 2020 : भगवान शिव की काशी में विराजती हैं नौ देवियां, जानिए कहां बने हैं मंदिर
वाराणसी आने वाले लोग नौ प्रमुख देवी मंदिरों में दर्शन पूजन करना नहीं भूलते।

वाराणसी, जेएनएन। नवरात्र के आयोजन की अाज शनिवार से शुरुआत हो रही है। नवरात्र के पूरे नौ दिन विश्‍व भर में हिंदू मान्‍यताओं के लाेग मां दुर्गा के नौ स्‍वरुपों की अलग- अलग दिनों में पूजा करते हैं। भगवान राम के लिए भी शक्ति आराधना के पर्व के रूप में भी देवी के नौ रूपों की पूजा का विधान है। भगवान शिव की नगरी काशी में देवी के नौ विभिन्‍न स्‍वरूपों के अलग अलग मान्‍यताओं के अनुसार नौ प्राचीन मंदिर बने हैं, इन मंदिरों में नौ देवियाें के स्‍परूप इन नौ दिनों में आस्‍था का केंद्र बने रहते हैं।

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काशी आने वाले लोग इन नौ प्रमुख देवी मंदिरों में दर्शन पूजन करना नहीं भूलते। काशी में नव दुर्गा की मान्‍यताओं के यह मंदिर जन जन की आस्‍था का केंद्र हैं। देवी के मंदिर काशी में नौ अलग अलग स्‍थानों पर प्राचीन काल से ही मौजूद माने जाते हैं। मंदिर की आस्‍था नवरात्र के दौरान परवान चढ़ती है तो भक्‍तों से मंदिर में दरबार आस्‍था से ओतप्रोत नजर आते हैं। जबकि काशी के विभिन्‍न मंदिरों में आस्‍था का रेला देव दीवाली तक जारी रहेगा। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री देवी का पूजन घर घर किया गया और मंदिरों में आस्‍था का रेला भी खूब उमड़ा।

प्रथम शैलपुत्री - नवरात्र में पहले दिन शैलपुत्री देवी के रूप में मां की पूजा का विधान है। वाराणसी में शैलपुत्री मंदिर अलईपुरा रेलवे स्टेशन के पीछे शक्कर तालाब के पास बना हुआ है।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी - नवरात्र में दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की मान्‍यता है। वाराणसी में ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर गंगा तट स्थित पंचगंगा घाट और गाय घाट के बीच ब्रम्हाघाट पर बना हुआ है।

तृतीय चंद्रघंटा - नवरात्र में तीसरी देवी के रूप में देवी चंद्रघंटा की पूजा का विधान माना गया है। वाराणसी में चौक में थाने के ठीक सामने चंद्रघंटा गली में देवी विराजती हैं।

चतुर्थ कुष्मांडा - नवरात्र में चतुर्थ देवी के तौर पर देवी कुष्‍मांडा की पूजा करने की मान्‍यता रही है। वाराणसी में दुर्गाकुंड पर देवी का मंदिर कुष्मांडा देवी के रूप में मान्‍य है।

पंचम स्कंदमाता - नवरात्र में पांचवीं देवी के रूप में बागेश्‍वरी देवी की पूजा का विधान है। वाराणसी के जैतपुरा में बागेश्वरी देवी का मंदिर आस्‍था का बड़ा केंद्र है।

षष्‍ठम कात्यायनी - नवरात्र में छठवीं देवी के तौर पर कात्‍यायनी देवी के रूप में मान्‍यता है। वाराणसी में संकठा मंदिर मणिकर्णिका घाट के बगल में सिंधिया घाट के ठीक ऊपर निर्मित है।

सप्‍तम कालरात्रि -नवरात्र में सातवीं देवी के रूप में कालरात्रि की पूजा का विधान है। वाराण्‍सी में माता कालरात्रि का मंदिर कालका गली दशाश्‍वमेध रोड पर बना है।

अष्‍टम महागौरी - नवरात्र में आठवीं देवी के रूप में महागौरी देवी की पूजा की मान्‍यता रही है। वाराण्‍ासी में बाबा दरबार के पास स्थित अन्नपूर्णा मंदिर की मान्‍यता महागौरी के रूप में है।

नवम सिद्धिदात्री - नवरात्र में देवी का अंतिम नौंवा स्‍वरूप देवी सिद्धिदात्री के रूप में माना जाता है। वाराणसी में गोलघर स्थित पराड़कर भवन के पीछे सिद्ध माता गली में देवी का मंदिर स्‍थापित है।


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