घंटा घडिय़ाल व शंख ध्वनि के बीच 108 दीपों व कमल पुष्प से महानिशा पूजा, शक्ति आराधना से महमह हो उठी शिव की नगरी
शारदीय नवरात्र के आठवें दिन रविवार को सुबह से ही पूजा मंडपों में शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की महाअष्टमी पूजा का क्रम शुरू हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। शारदीय नवरात्र के आठवें दिन रविवार को सुबह से ही पूजा मंडपों में शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की महाअष्टमी पूजा का क्रम शुरू हुआ। इसके साथ ही हवन के धुएं से शिव नगरी की सड़कें-गलियां महमह कर उठीं। कानों में गूंजते सस्वर मंत्रों की ध्वनि से माहौल शक्तिमय तो मां दुर्गा के साथ ही मां लक्ष्मी, देवी सरस्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमाओं का पूजन अभिषेक किया गया। ढाक के डंकों से गूंजते पंडालों में धुनूचि नृत्य संग मां की आरती की गई। कुमारी पूजन के साथ खिचड़ी महाभोग अर्पित कर प्रसाद वितरण किया गया।
बंगीय समाज के पंडालों में महाष्टमी पूजा के बाद भगवती को अपराजिता की माला भेंट की गई। महिलाओं-पुरुषोंके साथ ब'चों ने मातारानी को द्वितीय पुष्पांजलि अर्पित की। प्रतीक स्वरूप नारियलों की बलि के साथ मां की जयकार से पंडाल गूंजा। भारत सेवाश्रम संघ सिगरा व अन्य पंडालों में 108 दीपों व कमल पुष्प के साथ महानिशा पूजा की गई। अष्टमी-नवमी तिथियों की संधि बेला में संधि पूजा की गई। पंडालों में अल्पना व रंगोली सजाई गई।
नौ देवी स्वरूपों में पूजी गईं कुंवारी कन्याएं : शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर मां दुर्गा को महागौरी स्वरूप की विशेष आराधना की गई। पूजा मंडपों के साथ ही मठों-मंदिरों ïव घरों में देवी की अष्टमी विहित पूजा के साथ देवी स्वरूप में कुंवारी कन्या पूजन किया गया।
आठों पहर जगदम्बे की जयकार से गूंजा शहर : शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदम्बे की आराधना- उपासना की नौ दिवसीय पर्वोत्सव श्रृंखला शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर रविवार को आठों पहल मातारानी की जयकार से गूंजा गांव और शहर। सूर्यदेव ने अस्ताचल के लिए प्रस्थान किया और इधर रोशनी की बरसात ने हर कोना जगमग किया। उत्सव के शोख रंगों में डूबा कण-कण और श्रद्धा -भक्ति की उठती हिलोरों ने बाबा भोले शंकर की नगरी को शक्ति मय कर दिया।
रंग-बिरंगे बल्ब व झालरों की रोशनी से नहाई सड़कों और पंडालों में आस्था भक्ति का सैलाब उमड़ता रहा। उत्साह व उल्लास का आलम यह कि शाम से लेकर रात के तीसरे पहर तक सड़कें दिन का अहसास कराती रहीं। पंडालों की मनोहर छटा से भाव विभोर देवी गीतों में स्वर मिलाते, मातारानी को शीश नवाते, प्रसाद जीमते और अपने अंदाज में सुख-समृद्धि की कामना करते लोग टहलान मारते रहे। ब'चों के लिए यह सब जगरमगर तो निराली थी ही खिलौने या खानपान के सामान पर उनका मचलना भी मोहक रहा।
आज महानवमी, कल दशहरा : शारदीय नवरात्र के नौंवे दिन सोमवार को माता रानी की महानवमी विहित पूजा की जाएगी। हवन-अनुुष्ठान के साथ शक्ति की आराधना-उपासना का पर्व विराम पाएगा। मंगलवार को विजय दशमी मनाई जाएगी। बुराइयों के प्रतीक रावण परिवार के पुतलों का दहन किया जाएगा। अगले साल फिर आने की मनुहार के साथ दुर्गा प्रतिमाएं भी विसर्जित की जाएंगी।