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BHU के पुराछात्र समागम में बोले डा. महेंद्रनाथ पांडेय - 'युवाओं को राह दिखाने वाला प्रकाश है राष्ट्रवाद'

राष्ट्रवाद एक प्रकाश है जो युवाओं का पथ प्रदर्शन कर व्यक्तित्व का विकास करता है ताकि युवा राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सकें।

By Edited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 02:11 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 09:00 AM (IST)
BHU के पुराछात्र समागम में बोले डा. महेंद्रनाथ पांडेय - 'युवाओं को राह दिखाने वाला प्रकाश है राष्ट्रवाद'
BHU के पुराछात्र समागम में बोले डा. महेंद्रनाथ पांडेय - 'युवाओं को राह दिखाने वाला प्रकाश है राष्ट्रवाद'

वाराणसी, जेएनएन। राष्ट्रवाद एक प्रकाश है जो युवाओं का पथ प्रदर्शन कर व्यक्तित्व का विकास करता है ताकि युवा राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सकें। वहीं अंध का मतलब अंधकार है, इसलिए अंधराष्ट्रवाद का कोई व्यावहारिक अस्तित्व नहीं। यह बातें बीएचयू के अंतरराष्ट्रीय पुराछात्र समागम के समापन सत्र में शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने कही। कहा कि कुछ युवा सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं क्योंकि उन्हें राष्ट्र की परिकल्पना के बारे में बताया नहीं जाता। छात्र डिग्री हासिल करने तक सीमित न रहें, नैतिकता व सांस्कृतिक मूल्यों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें। आज देश-दुनिया को मालवीय के दृष्टि की जरूरत है।

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उच्च शिक्षा में आधुनिक व पारंपरिक ज्ञान के समन्वय के साथ राष्ट्र निर्माण में युवा सहयोग करें, इसलिए उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। विज्ञान, साहित्य, कला, संगीत, चिकित्सा के क्षेत्र में बीएचयू के छात्रों ने नाम कमाया है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा देकर शीर्ष वैश्विक शिक्षण संस्थान बनाना चाहते हैं। इसकी सारी संभावनाएं यहां मौजूद हैं, जरूरत महज एकजुट प्रयास की है। कहा कि पश्चिम के अच्छे विचार को ग्रहण करने में संकोच न करें। मगर कला, संगीत, शिल्प, संस्कृति आदि को भी साथ में लेकर चलें, ताकि हम अपने मूल से कटें नहीं। अब कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है। देश का युवा अब दक्षता के मामलों में सिंगापुर व जर्मनी जैसे देशों को कड़ी टक्कर देगा। इसके लिए गांधीनगर में कौशल विकास केंद्र स्थापित किया गया है, वहीं मुंबई में यह निर्माणाधीन है। इससे पूर्व प्रोग्राम के कन्वीनर प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी ने अंतरराष्ट्रीय पुराछात्र समागम की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

दो दिवसीय आयोजन के तहत '21वीं सदी के भारत में उच्च शिक्षा व महामना की दृष्टि' विषय पर तीन सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश से पहुंचे पुराछात्रों ने विचार रखे थे। अध्यक्षता कुलपति प्रो. राकेश भटनागर, स्वागत छात्र प्रकोष्ठ की अध्यक्ष प्रो. सुशीला सिंह, संचालन चंद्राली मुखर्जी व धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त आयोजन सचिव डा. धीरेंद्र कुमार राय ने किया। कभी क्लर्क पद के लिए किया था आवेदन -केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने अपने छात्र जीवन के कई संस्मरण सुनाए। कहा कि पिता चाहते थे कि बीए करने के बाद नौकरी करूं। उनके दबाव में मैंने विवि में ही क्लर्क पोस्ट का वांट भर भी दिया था। मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। आपातकाल में जेल गया। उसके बाद हुए छात्रसंघ चुनाव में मुझे अध्यक्ष चुन लिया गया। वहीं से राजनीति की यात्रा शुरू हुई।

जो कुछ सीखा, वही कर रहा हूं - केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बहुत ही सुखद क्षण है। जहां से मैंने पढ़ाई की, वहीं के कुलपति महोदय से सम्मान प्राप्त करना गौरवान्वित करता है। जो कुछ भी छात्र जीवन के दौरान यहां से सीखा, आज वही देश भर में करने की कोशिश कर रहा हूं। मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए था बीएचयू को - बीएचयू कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि आजादी के बाद की सरकारों को चाहिए था कि बीएचयू को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते ताकि देश के अन्य शिक्षण संस्थान उसका अनुसरण कर पाते। पिछले दो दिनों में नई तरह की ऊर्जा जागृत हुई है। चिकित्सा क्षेत्र के साथ ही अन्य तरह के योगदान के लिए पुराछात्र विवि से लगातार संपर्क साध रहे हैं। यूरोपियन कंट्री सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पुराछात्र समागम के आयोजन को लेकर विचार किया जा रहा है।


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