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बड़ी चुनौती : मोदी ने फिर चुनी अपनी काशी, विपक्ष का मैदान खाली

अंतत बहुप्रतीक्षित फैसला सामने आ गया और भाजपा ने नरेंद्र मोदी की उम्म्म्म्मीदवारी के लिए उनकी अपनी काशी के नाम पर मुहर लगा दी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 08:03 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 08:03 AM (IST)
बड़ी चुनौती : मोदी ने फिर चुनी अपनी काशी, विपक्ष का मैदान खाली
बड़ी चुनौती : मोदी ने फिर चुनी अपनी काशी, विपक्ष का मैदान खाली

वाराणसी, (राकेश पांडेय)। अंतत: बहुप्रतीक्षित फैसला सामने आ गया और भाजपा ने नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी के लिए उनकी अपनी काशी के नाम पर मुहर लगा दी। अब सबसे बड़ा सवाल है कि मोदी को टक्कर देगा कौन? विपक्ष की ओर से दावेदार उतारे तो जरूर जाएंगे लेकिन अभी मोदी के मुकाबिल होने वाला कोई अन्य उम्मीदवार दूर-दूर तक सूझ नहीं रहा है। वर्ष 2014 के चुनाव में तब के सियासी नक्षत्र के सबसे चमकदार सितारे माने जाने वाले अरविंद केजरीवाल की मोदी ने तीन लाख 71 हजार से अधिक वोट से हराया था। मोदी को पिछले चुनाव में कुल पांच लाख 81 हजार 22 वोट मिले थे। हार का यह अंतर तब इतना बड़ा था जबकि समूचा विपक्ष घेरेबंदी कर उन्हें हराने में जुटा था। कोशिश तो अबकी बार भी कुछ ऐसी ही है। बहरहाल सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस हो न हो मोदी की काट के लिए उन्हीं के गृह राज्य गुजरात से उपजे युवा नेता हार्दिक पटेल को सामने उतार दे। हालांकि अन्य विकल्पों पर भी मंथन चल रहा है। इस क्रम में पिछले दिनों गंगा यात्रा पर प्रयागराज से काशी तक का सफर करने वाली प्रियंका वाड्रा ने भी जमीनी थाह लगाने की कोशिश की थी। उधर, बनारस की सीट गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी के खाते में है। सपा के खेमे से ऐसा कोई कद्दावर नेता फिलहाल चर्चा में भी सामने नहीं लाया गया है जिसके सहारे गठबंधन की नैया बनारस की चुनावी गंगा में पार लग सके। हां, यह जरूर है कि पिछले दिनों प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण ने यह घोषणा जरूर की थी कि वे मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। बहरहाल बनारस की उम्मीदवारी भाजपा और मोदी के लिए सिर्फ एक सीट का मसला भर नहीं है। पिछले पांच वर्षो में मोदी ने काशी के विकास को लेकर जितना जतन किया उससे कमतर काशी ने भी उन्हें स्नेह नहीं दिया है। बनारस का विकास मॉडल पूरे देश में नजीर के तौर पर पेश करते हुए मोदी और भाजपा अपना चुनावी सफर तय करेंगे। अपने संसदीय क्षेत्र के विकास को लेकर अब तक भारत के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने इतनी बड़ी पहल नहीं की जितना कि मोदी ने अपनी काशी के लिए किया। जाहिर है जिस काशी की ब्रांडिंग बतौर पीएम मोदी दुनिया भर में करते रहे हैं, वहां के विकास को उम्मीदवार के तौर पर देशभर में पेश करने से भला पीछे क्यों रहेंगे।

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