गंगातट स्थित तुलसीघाट पर आज शाम सजेगी नागनथैया लीला, भगवान श्रीकृष्ण नृत्य मुद्रा में करेंगे वेणु वादन
काशी में प्रतिवर्ष गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा स्थापित मानी जाने वाली इन नागनथैया के आयोजन की मान्यता काशी ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वांचल में है।
वाराणसी, जेएनएन। उत्सवधर्मी काशी में वर्ष भर लक्खा मेला संग पर्व, व्रत और त्योहारों की अनगिन कडियां जारी रहती हैं। इसी कड़ी में कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तद्नुसार गुरुवार की शाम तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी। लीला में ठीक शाम 4.40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदेंगे और कालियनाग को नाथ कर उसके फन पर नृत्य मुद्रा में वेणु वादन करते दर्शन देंगे। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की ओर से आयोजित इस लीला की ख्याति बनारस के लक्खा मेला के रूप में है।
काशी में प्रतिवर्ष गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा स्थापित मानी जाने वाली इन नागनथैया के आयोजन की मान्यता काशी ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वांचल में है। सुबह से ही घाट पर घाट पर साफ सफाई संग साज सज्जा को देखने देश विदेश से आस्थावान आएंगे। शिव की नगरी काशी में अनोखा नजारा होगा जब हर हर महादेव के साथ मोर मुकुट बंशी वाले की जय का नारा एक साथ फिजा में घुलेगा और काशी में माहौल पूरी तरह भक्ति भाव में डूब जाएगा। गंगा नदी कुछ देर के लिए यमुना बन जाएगी और कदंब की डाल से गेंद निकालने भगवान श्रीकृष्ण नदी में कालियनाग को नाथने के साथ ही फन पर काबिज होकर वेणुवादन करेंगे तो पूरी काशी भगवान कृष्ण की लीला से निहाल नजर आएगी। काशी नरेश भी आयोजन में शामिल होंगे और आयोजकों को स्वर्ण मुद्रा (सोने की गिन्नी) प्रदान करने की परंपरा का भी निर्वाह करेंगे।
घाटों की अनगिन श्रृंखला के बीच तुलसीघाट पर आस्था का जहां रेला उमडेगा वहीं दूर देश से सैलानी भी काशी की इस अनाेखी लीला का नजारा लेने घाट पर मौजूद रहेंगे। दिन ढलने के साथ ही कैमरे के Flash की रोशनी से घाट और नदी दोनों ही जगमग करते नजर आएंगे। देर रात तब चलने वाले इस लक्खा मेले की सदियों से काशी में अनोखी मान्यता रही है और इस परंपरा को काशी ने थाती की तरह संभाल और संजोकर कुछ इस तरह रखा है कि अब यह लोक उत्सव के तौर पर ही पहचाना जाने लगा है।
कालिय तैयार, कान्हा का इंतजार
लक्खा मेला में शुमार तुलसीघाट की ख्यात नागनथैया लीला गुरुवार को सजेगी। गंगा कालिंदी का रूप लेंगी और नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण कंदुक खेलने आएंगे। कालिय के फन नाथेंगे और नृत्य मुद्रा में वेणु वादन कर दर्शन दे जाएंगे। इसके लिए बुधवार को ही तैयारियां पूरी कर ली गईं। तुलसीघाट पर कालिय नाग के प्रतिरूप को अंतिम रूप दे दिया गया। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 450 साल पहले शुरू कराई गई लीला का प्रमुख प्रसंग गुरुवार को दोपहर तीन बजे जीवंत होगा। इसमें विशाल नाग पर के फन पर चढ़ प्रभु श्रीकृष्ण जल में परिक्रमा करते हुए दर्शन देंगे। लीला समिति सदस्यों के साथ मिल कर माझी समाज के लोगों ने लगभग 12 फीट लंबे नाग को आकार दिया है। लीला से ठीक पहले नाग को जल में डुबा दिया जाएगा। हालांकि गंगा का जल स्तर अभी सामान्य न होने से लोगों को तुलसीघाट पर बैठने में दिक्कतें जरूर आएंगी।