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वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक से आजादी की पहली वर्षगांठ मनायी, प्रधानमंत्री को दिया धन्‍यवाद

तीन तलाक कानून बनने के एक साल पूरे होने पर वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने शारीरिक दूरी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये बधाई गीत गाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 07:49 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 07:49 PM (IST)
वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक से आजादी की पहली वर्षगांठ मनायी, प्रधानमंत्री को दिया धन्‍यवाद
वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक से आजादी की पहली वर्षगांठ मनायी, प्रधानमंत्री को दिया धन्‍यवाद

वाराणसी, जेएनएन। तीन तलाक कानून बनने के एक साल पूरे होने पर मुस्लिम महिलाओं ने मुस्लिम महिला फाउण्डेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में सुभाष भवन, इंद्रेश नगर, लमही में महिला कचहरी शारीरिक दूरी के साथ आयोजित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार के लिये बधाई गीत गाया। इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को आजादी दो महापुरूषों की वजह से मिली है। तीन तलाक के डर से किसी भी मुस्लिम महिला ने अपने पतियों के कुकृत्यों का विरोध नहीं किया और वे अपनी बीबियों को डरा कर दो-तीन शादियां करते रहे। आज परिस्थिति बदल चुकी है, मुस्लिम महिलाओं के पास कानून का अधिकार है। तीन तलाक कानून आने के बाद तलाक देने की घटनाओं में कमी आयी है। अब मुस्लिम महिलाएं खुलकर सांस ले रही हैं और बिना डरे अपना घर चला रही हैं।

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विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डाक्‍टर राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि तीन तलाक की खौफ से आजाद मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी में बहुत परिवर्तन आया है। अब निकाह होने के बाद मुस्लिम बेटियां निश्चिन्त होकर जीवन यापन कर रही हैं और यदि तलाक हो भी जाए तो वे अपना हर्जा-खर्चा लेने के लिये कानून का दरवाजा खटखटा सकती हैं। सती प्रथा, विधवा विवाह के बाद तीन तलाक पर प्रतिबंध ऐतिहासिक घटना है और समाज सुधार के इतिहास में इस घटना को हमेशा प्रमुखता दी जायेगी।इस महिला कचहरी में नजमा परवीन, सोनी बानो, शहनाज, रूकसाना बानो, नाजमा, नगीना बानो, अर्चन भारतवंशी, मृदुला जायसवाल, सुनिता श्रीवास्तव, पूनम श्रीवास्तव, सरोद देवी, गीता, इली, खुशी, उजाला, शिखा, राधा आदि महिलाओं ने भाग लिया।

2013 में 500 नकाबपोश मुस्लिम महिलाओं ने शुरू किया था तीन तलाक के खिलाफ आंदोलन

सैकड़ों वर्षों से तीन तलाक जैसी कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने वाले कानून के बने एक साल पूरे हो गये। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अोर से सबसे पहले एक दिसम्बर 2013 को वाराणसी से 500 मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के खिलाफ बिगुल फूंका था। तीन तलाक के खिलाफ बोलना तब शरीयत के खिलाफ बोलने जैसा माना जाता था। इस्लामिक कट्टपंथियों की डर की वजह से किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई तीन तलाक के खिलाफ बोल सके। मुस्लिम मर्दों की मनमानी की शिकार मुस्लिम महिलायें इस डर से जीती थीं कि कहीं उनका शौहर उन्हें किसी बात पर तीन बार तलाक देकर घर से बाहर न निकाल दे। मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने तीन तलाक की बढ़ती घटनाओं को देखते हुये घर टूटने से बचाने के लिये विशाल भारत संस्थान के साथ मिलकर महिला कचहरी शुरू किया ताकि इन घटनाओं को सुलह समझौते के द्वारा रोका जा सके, लेकिन कानून के अभाव में मुस्लिम धर्मगुरुओं के प्रभाव में आकर मुस्लिम मर्द अपनी बीबियों को तलाक दे देते थे।

तीन तलाक को रोकने के लिये मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने पूरे देश का दौरा कर मुस्लिम महिलाओं को जागरूक किया। तीन तलाक के खिलाफ मुहिम चलाने वाली नाजनीन अंसारी को मुस्लिम कट्टरपंथियों ने न सिर्फ जान से मारने की धमकी दी बल्कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पूर्वांचल प्रभारी मो० अजहरूद्दीन के ऊपर जानलेवा हमला किया। 2013 में 500 नकाबपोश मुस्लिम महिलाओं के द्वारा शुरू किया गया तीन तलाक के खिलाफ आन्दोलन पूरे देश में गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रश कुमार ने जब आंदोलन की कमान सम्भाली तब लाखों मुस्लिम महिलाओं की उम्मीद जग गयी। तीन तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस दिन उसका फैसला आना था, बनारस की मुस्लिम महिलाएं पातालपुरी मठ पहुंचकर फैसला पक्ष में हो इसके लिये 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही मुस्लिम महिलाओं की उम्मीद बढ़ गयी। इसकी भी कहानी बनारस से जुड़ती है। वर्ष 2013 में नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राखी भेजकर भाई बनाया और तीन तलाक के मुद्दे पर साथ देने की अपील की। नरेन्द्र मोदी ने राखी के बंधन को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि प्रधानमंत्री बनने के बाद संसद से कानून पारित करवा दिया। इसके लिये इस्लामिक कट्टरपंथियों और मुस्लिम राजनीति करने वाले दलों का भारी विरोध था। नरेंद्र मोदी ने कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को आजादी से जीने का अधिकार दिया और इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के खिलाफ आन्दोलन करने की प्रेरणा दी। समाज सुधारक इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम महिलाओं को कुछ ही वर्षों में इस योग्य बना दिया ताकि वे हजारो साल पुरानी सामाजिक कुप्रथा से लड़ सके।


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