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इबादत में गुजारें 'शब-ए-कद्र' की रात

शब-ए-क्रद वह अजीम रात है जिसके बारे में फरमाया गया है कि इस एक रात इबादत करना हजार महीनों की इबादत से अफजल है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 12:56 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 12:56 AM (IST)
इबादत में गुजारें 'शब-ए-कद्र' की रात
इबादत में गुजारें 'शब-ए-कद्र' की रात

वाराणसी : शब-ए-क्रद वह अजीम रात है, जिसके बारे में फरमाया गया है कि इस एक रात इबादत करना हजार महीनों की इबादत से अफजल है। रमजानुल मुबारक के तीसरे जुमे (शुक्रवार) को तकरीर करते हुए यह बातें उलमा-ए-कराम ने कही।

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कहा रमजान का आखिरी अशरा जहन्नुम से आजादी का है, जो रविवार मगरिब से शुरू होगा। आखिरी अशरे की ताक रातों (21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं व 29वीं) में इबादतों के जरिए 'शब-ए-कद्र' की तलाश करें। मस्जिद खरबूजा शहीद के इमाम हाफिज शकील अहमद ने कहा कि आखिरी अशरे (दस दिन की अवधि) में मोहल्ले के किसी एक शख्स के एतेकाफ में बैठने पर पूरे मोहल्ले पर खुदा की रहमत नाजिल होती है। एतेकाफ में बैठने वालों का हर लम्हा इबादतों में शुमार होता है। मालूम हो कि एतेकाफ के दौरान 20वें रोजे के मगरिब से पहले से लेकर ईद का चांद दिखाई देने तक मस्जिद में रहकर इबादत करना होता है। वहीं अन्य इबादतगुजार भी एक या दो दिन के नफ्ली एतेकाफ की नीयत से मस्जिदों में खुदा की इबादत में मशगूल रहेंगे। रमजान के तीसरे जुमे को मस्जिदें इबादतगुजारों से खचा-खच भरी रहीं। नमाज के बाद मुल्क के अमनो-आमान, तरक्की व खुशहाली की दुआएं मांगी गई।

इनकी इमामत में अदा हुई नमाज : शाही मस्जिद ज्ञानवापी में मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, जामा मस्जिद नदेसर में मौलाना मजहरुल हक, मस्जिद दायम खां पुलिस लाइन चौराहा में मौलाना मुबारक हुसैन, मस्जिद ढाई कंगूरा चौहंट्टालाल खां में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, मस्जिद लाटशाही कचहरी में हाफिज हबीबुर्रहमान, मस्जिद लाट सरैयां में मौलाना जियाउर्रहमान, मस्जिद खरबूजा शहीद नदेसर में हाफिज शकील अहमद, मस्जिद याकूब शहीद नगवा में हाफिज ताहिर, शाही मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद खाकी शाह शिवाला में मौलाना मुनीर आलम, जलालीपुरा मस्जिद में हाफिज हबीबुर्रहमान मजहरी, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब आलम, मस्जिद बीबी रजिया चौक में मौलाना अजीज अहमद कादरी आदि ने जुमा की नमाज अदा कराई। ------------------

हजरत अली के सिलसिले से मजलिस का दौर शुरू

जासं, वाराणसी : शेरे खुदा, मुश्किल कुशा हजरत अली के शहादत के सिलसिले से देश-दुनिया में तीन दिनों तक गम मनाया जाएगा। इस सिलसिले से शुक्रवार को शहर की 32 शिया मस्जिदों में मजलिस का आयोजन हुआ। घरों में हजरत अली के नाम पर ख्वातीन ने नौहा-मातम किया। वहीं चौक स्थित शायर स्व. अब्बास बेग मेहसर के आवास पर देर रात कदीमी मजलिस आयोजित हुई। अब्बास मुर्तजा शम्शी के संयोजन में मौलाना मोहम्मद अकील हुसैनी व जौनपुर के मौलाना डा. काजिम मेहंदी उरूज ने मजलिस को खेताब किया। इससे पूर्व लियाकत अली ने सोजख्वानी से मजलिस का आगाज किया। वहीं मजलिस के बाद इमाम का ताबूत उठाया गया, जिसमें अंजुमन हैदरी चौक ने नौहा-मातम किया। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने बताया कि हजरत अली की शहादत 21 रमजान को हुई थी। 19 वीं रात को नमाज के दौरान सर पर तलवार से वार किया गया था। आप तीन दिन तक जिंदा रहे उसके बाद 21 रमजान को शहीद हुए। शहादत के गम में शिया हजरात मुकीमगंज, चौहंट्टालाल खां, दोसीपुरा आदि से 27 मई को अलम व ताबूत का जुलूस निकालेंगे। जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ लाटसरैयां स्थित सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा। यहीं पर शिया हजरात रोजा इफ्तार भी करेंगे।

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पितरकुंडा में रोजा इफ्तार का आयोजन

जासं, वाराणसी : मास्टर अब्दुल शाहिद एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी की ओर से शुक्रवार को पितरकुंडा में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया। मगरिब की अजान से पहले दस्तरख्वान सजा। एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजन रोजेदारों के सामने पेश किए गए। अजान की सदा पर खजूर व शरबत से रोजेदारों ने अपना रोजा खोला। इसके बाद मौलाना अहसन जमील मदनी की इमामत में मगरिब की नमाज अदा की गई और मुल्क व मिल्लत के लिए दुआएं मांगी गई। सोसाइटी के अध्यक्ष अब्दुल रकीब ने बताया कि मगरिब की नमाज के बाद मौलाना अहसन जमील ने एतेकाफ की अहमियत पर रोशनी डाली।

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