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मसान को जानने पर ही शिव महिमा का ज्ञान

वाराणसी : मणिकर्णिकाघाट के सामने गंगा पार डोमरी स्थित सतुआबाबा गोशाला में व्यासपीठ से राष्ट्र

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Oct 2017 02:17 AM (IST)Updated: Mon, 23 Oct 2017 02:17 AM (IST)
मसान को जानने पर ही शिव महिमा का ज्ञान
मसान को जानने पर ही शिव महिमा का ज्ञान

वाराणसी : मणिकर्णिकाघाट के सामने गंगा पार डोमरी स्थित सतुआबाबा गोशाला में व्यासपीठ से राष्ट्र संत मोरारी बापू ने जीवन सत्य का ज्ञान कराया। कथा 'मानस मसान' के दूसरे दिन रविवार को विस्तार से उद्धरणों व तर्को के साथ इसे बताया और कहा मसान को प्रेत निवास कहा जाता है लेकिन समझना होगा कि जहां मृत्यु वहां मसान हैं। कोई घर ऐसा नहीं जहा मृत्यु न हुई हो। ऐसे में हर घर एक मसान है। हर जागरूक व्यक्ति को वियोग में तथा बुद्ध पुरुष को संयोग में घर मसान लगता है। वस्तुत: मसान एक पवित्र शब्द है बस यही समझ में आए तो उद्धार हो जाए। मरने को जो राजी हो जाए उसे ही मसान जैसी जगह मिलती है। मसान महिमा जानने से शिव महिमा का ज्ञान मिलता है। मसान हमारे लिए एक अद्भुत प्रेरणा है। उन्होंने कहा शास्त्रों में वैदिक व पौराणिक यज्ञ का उल्लेख मिलता है। मसान भी एक परम यज्ञ है। यज्ञ पहले महायज्ञ बनता है और बाद में परम यज्ञ बन जाता है।

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वर्तमान का लें आनंद

मोरारी बापू ने कहा मृत्यु धु्रव सत्य है जिसे रोका नहीं जा सकता है। यह निश्चित है तो इसका शोक नहीं आनंद होना चाहिए । वास्तव में मरण मीठा है। विवेकी व्यक्ति वही है जो इसे हंसते-हंसते स्वीकार करें। भूत वह है जो भूतकाल का शोक करे और वो प्रेत है जो भविष्य की चिंता में मरे। सृष्टि के साथ हम सब भूत हैं और सबका मालिक भूतनाथ हैं। पनघट जीवन का और मरघट मृत्यु का प्रतीक है। दोनो ही शब्द ब्रह्म हैं। इनमें नाम का भेद है लेकिन तत्व एक ही हैं। श्मशान पितृ गुरु है जो हमारे माता-पिता शिव-पार्वती का घर है।

सुख और आनंद अलग

सुख और आनंद को एक मानना गलत है। वास्तव में सुख उसे कहते हैं जहा दुख दब जाए और आनंद वह है जहा दुख जड़ से मिट जाए। मानस कथा शाति देती है और इसकी प्रत्येक चौपाई एक मंत्र है। यह स्नेह का परस्पर आदान-प्रदान करता है।

पाश्चात्य से आ रहा पागलपन

बापू ने कहा पाश्चात्य से पागलपन आ रहा और हम 24 घंटे वैज्ञानिक उपकरणों के उपयोग में व्यस्त हैं। बहुत जरूरी होने पर वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए अथवा उसके उपयोग का समय निर्धारित रखना चाहिए। यह समय हरि को दें तो उद्धार निश्चित है। कलियुग में राम प्रत्यक्ष नहीं हैं लेकिन उनका नाम है। राम नाम परम तत्व व परम सत्य है और तारक मंत्र है। मानस कथा शांति प्रदाता है। इससे पहले आयोजन संस्था संतकृपा सनातन संस्थान के चेयरमैन मदन पालीवाल, ट्रस्टी प्रकाश पुरोहित, रवींद्र जोशी, रुपेश व्यास, विकास पुरोहित, मंत्रराज पालीवाल, संतोष दास महाराज सतुआबाबा ने व्यासपीठ पर पुष्प अर्पित किए।


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