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सांसद अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में ओबीसी वर्ग का कट का मामला उठाया, बोलीं हर हाल में आरक्षण की मूल भावना का हो सम्मान

अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को लोकसभा में शून्य काल के दौरान सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का कट आफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा होने का मामला उठाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 06:22 PM (IST)
सांसद अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में ओबीसी वर्ग का कट का मामला उठाया, बोलीं हर हाल में आरक्षण की मूल भावना का हो सम्मान
सांसद अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में ओबीसी वर्ग का कट का मामला उठाया, बोलीं हर हाल में आरक्षण की मूल भावना का हो सम्मान

मीरजापुर, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को लोकसभा में शून्य काल के दौरान सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का कट आफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा होने का मामला उठाया। मांग की किसी भी परिस्थिति में आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे कैंडिडेट को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाए।

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अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में कहा कि पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से लगातार $खबरें आ रही हैं कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का कट आफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा है। ऐसे रिजल्ट का मतलब ये है कि अगर आप रिजर्व कटेगरी से हैं तो सेलेक्ट होने के लिए आपको जनरल कटेगरी के कट आफ से ज्यादा नंबर लाने होंगे। उत्तर प्रदेश के होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति में सामान्य वर्ग का कट आफ 86 रहा तो ओबीसी कटेगरी का 99 फीसद रहा। राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आरएएस) परीक्षा, 2013 में ओबीसी कटेगरी का कट आफ 381 और जनरल कटेगरी का कट आफ 350 रहा। मध्य प्रदेश में टेक्सेसन असिस्टेंट की परीक्षा में भी ओबीसी का कट आफ जनरल से ऊपर चला गया। ऐसा कई राज्यों में हो रहा है। वैधानिक प्रावधान यह है कि आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट अगर सामान्य वर्ग के कैंडिडेट से ज्यादा नंबर पाता है, तो उसे अनारक्षित यानी जनरल सीट पर नौकरी दी जाएगी न कि आरक्षित सीट पर। मगर ऐसा होता नहीं है। आरक्षित वर्ग के लोग आर्थिक दृष्टि से अभी भी बहुत पीछे हैं और समान अवसर अब भी उनके लिए सपना है। ऐसे में इस वर्ग के कैंडिडेट का सामान्यता उम्र और फीस जैसी छूट हासिल करना मजबूरी है। ओबीसी की आबादी देश की आबादी का 52 फीसद है। आर्थिक और सामाजिक रूप से अशक्त होने के कारण इस वर्ग के लिए 27 फीसद आरक्षण किया गया। सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे कैंडिडेट को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरक्षित वर्ग संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार से वंचित होंगे।


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