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पुत्रों को दीर्घायु की कामना के लिए माताओं ने रखा ललही छठ का व्रत, मास्क लगाकर सूनीं कथा

पुत्रों की दीर्घायु की कामना के साथ मनाया जाने वाला ललही छठ रविवार को परंपरागत ढंग से रखा गया। महिलाओं ने ललही देवी का पूजन-अर्चन किया और कथा सुनीं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 07:14 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 12:24 AM (IST)
पुत्रों को दीर्घायु की कामना के लिए माताओं ने रखा ललही छठ का व्रत, मास्क लगाकर सूनीं कथा
पुत्रों को दीर्घायु की कामना के लिए माताओं ने रखा ललही छठ का व्रत, मास्क लगाकर सूनीं कथा

वाराणसी, जेएनएन। पुत्रों की दीर्घायु की कामना के साथ मनाया जाने वाला ललही छठ रविवार को परंपरागत ढंग से रखा गया। महिलाओं ने दही, महुआ व चावल चढ़ाकर ललही देवी का पूजन-अर्चन किया और कथा सुनीं। माताओं ने व्रत के साथ पुत्रों की दीर्घायु की कामना की। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जहां पूर्व की अपेक्षा भीड़ कम रही वहीं व्रती महिलाओं सहित पूजन में शामिल होने वालों ने एक दूसरे से दूरी बनाकर व मास्क लगाकर पूजन किया।

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थाल में दही, महुआ, चावल सहित अन्य पूजन सामग्री सजाकर महिलाएं तालाब व सरोवरों के किनारे स्थित ललही देवी के स्थान पर पहुंची। इस दौरान विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया। साथ ही सामूहिक रूप से कथा भी सुनीं। पौराणिक मान्यता है कि ललही देवी की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ उनकी उम्र लंबी होती है। ग्रामीण ही नहीं नगर क्षेत्र में भी तमाम महिलाओं ने इस व्रत को श्रद्धा के साथ रखा। हाथों में पूजा की थाल सजाए महिलाएं घाटों के पास पहुंची। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में माताओं ने बेटे की लंबी उम्र और मंगलकामना के लिए ललही छठ का व्रत रखा। पूजन के बाद बेटे के लिए आशीष मांगा। सुबह से ही गांवों में उत्साह देखा गया।

पंडित विनय पाठक ने बताया कि इस वर्ष इस पूजा का महत्व और भी ज्यादा है। क्योंकि माताओं को कोरोना रूपी राक्षस से अपने संतान की रक्षा करनी है। बताया कि ललही छठ व्रत संतान की रक्षा व प्राप्ति दोनों के लिए की जाती है। रविवार को पूर्वांचल में भी ललही छठ का धूम देखा गया। तालाब, पोखरा, कुआं आदि के किनारे समूह में एकत्रित होकर महिलाएं पूजा कीं। पूजा के दौरान व्रती महिलाएं कहानियां सुनाती रहीं। घर पहुंचकर महिलाएं व्रत तोड़ीं।


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