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अधिक सोना मतलब स्वास्थ्य से हाथ धोना, आलस त्यागने का बेहतर समय

आजकल लोगों में आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही। जब भी समय मिला, लोगा सोने की तैयारी करने लगते हैं। जबकि अधिक नींद सेहत के लिए हानिकारक है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 04:58 PM (IST)
अधिक सोना मतलब स्वास्थ्य से हाथ धोना, आलस त्यागने का बेहतर समय
अधिक सोना मतलब स्वास्थ्य से हाथ धोना, आलस त्यागने का बेहतर समय

वाराणसी, (कृष्ण बहादुर रावत):आजकल लोगों में आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही। जब भी समय मिला, लोग सोने की तैयारी करने लगते हैं। यह बात कई वैज्ञानिक शोधों में प्रमाणित हो चुकी है कि भरपूर नींद लेने से आप ज्यादा स्वस्थ और सुंदर के साथ साथ दिन भर तरोताजा महसूस करते हैं। मन प्रसन्न रहता है और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। एक सामान्य व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य के लिए 6-8 घटे सोना जरुरी है। नींद कम लेना या जरुरत से ज्यादा सोना दोनों ही सेहत के लिए हानिकारक माना गया है।

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कुछ वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि आवश्यकता से अधिक सोने वाले लोगों में टेंशन, डिप्रेशन का शिकार होने की संभावना अधिक होती है।

नींद लेते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइये जानते हैं। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार बताते हैं नींद क्यों आती है इसके बारे में आयुर्वेद में स्पष्ट रूप से बताया गया है। जब मन और सभी इंद्रिया काम करते-करते थक जाती हैं तब अपने अपने कर्मो का त्याग करने लगती हैं। इस कारण मनुष्य को निद्रा आने लगती है। यही स्वाभाविक निद्रा है। पुन: अचार्यों ंने निद्रा के तमोभवा, श्लेष्म समुद्भवा, मन शरीर संभवा, व्याध्यानुवर्तिनी और रात्रि स्वभाव प्रभवा जैसे 6 प्रकार बताए हैं। इनमें से रात्रिस्वभाव प्रभवा ही प्राकृतिक निद्रा मानी गयी है, बाकी अन्य निद्राएं सभी रोगों का कारण मानी गई हैं।

निद्रा से लाभ : आरोग्य की प्राप्ति। शरीर का पोषण। बल की वृद्धि। शुक्त्र की वृद्धि। आयु का लाभ। धातुओं की समता और पोषण। किसे दिन में नहीं सोना चाहिए : मोटे लोगों को। कफ प्रकृति वाले को। कफज रोगों से पीड़ित को। मधुमेह रोगी को। उच्च ब्लड प्रेशर वाले रोगी को। कौन कौन दिन में सो सकता है : अजीर्ण के रोगी। अत्यधिक मेहनत करने वाले। धातुक्षय वाले। वृद्ध और बालक। प्यास और अतिसार से पीड़ित रोगी। दुबले पतले आदमी। जिनकी सास फूलती हो।

किस ऋ तु में दिन में सोना चाहिए : केवल ग्रीष्म ऋ तु में दिन में सोना चाहिए। इसके अतिरिक्त किसी भी ऋ तु में दिन में नहीं सोना चाहिए।

असमय काल में निद्रा से हानि : सिरदर्द और माइग्रेन। प्रतिश्याय यानी सर्दी जुकाम। बदन में दर्द। भोजन में अरुचि और अपचन। स्मृति का क्षय। हृदय रोग। ज्यादा सोना शरीर में ब्लड-शुगर लेवल को असंतुलित करता है, जिससे मधुमेह होने का खतरा रहता है। अधिक सोने वाले व्यक्ति हृदय की बीमारी जैसे कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट स्ट्रोक, एनजाइना का भी शिकार हो सकते हैं। अधिक सोने से मोटापा होता है। सोते समय हमारी सभी उपापचय क्त्रियाएँ धीमी पड़ जाती है, जिससे कम ऊर्जा खर्च होती है। फलत: अनावश्यक वसा शरीर में बढ़ने लगता है और मोटापा आने लगता है। अनावश्यक सोना से शरीर का बायोलॉजिकल क्लॉक असंतुलित होने लगता है। जिसके दुष्परिणाम आलस बना रहना, सुस्ती, मूड खराब होना, सरदर्द, पीठदर्द, थका-थका सा अनुभव करने के रूप में सामने आते हैं।


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