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बोले इंद्रेश कुमार, मॉब लिंचिंग पर नहीं मिलनी चाहिए किसी भी कीमत पर माफी Varanasi news

मॉब लिंचिंग के नाम पर कोई भी अपराध करता है तो उसे माफी हरगिज नहीं मिलनी चाहिए।

By Edited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 02:32 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:58 AM (IST)
बोले इंद्रेश कुमार, मॉब लिंचिंग पर नहीं मिलनी चाहिए किसी भी कीमत पर माफी Varanasi news
बोले इंद्रेश कुमार, मॉब लिंचिंग पर नहीं मिलनी चाहिए किसी भी कीमत पर माफी Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। मॉब लिंचिंग के नाम पर कोई भी अपराध करता है तो उसे माफी हरगिज नहीं मिलनी चाहिए। चाहे वह कश्मीर के पत्थरबाज हों, पश्चिम बंगाल में राजनैतिक कार्यकर्ताओं की हत्या के दोषी या फिर जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले। यह बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने गुरुवार को कही। वह पराड़कर स्मृति भवन सभागार में आयोजित बनारस मुस्लिम अधिवेशन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कहा हम पूर्वजों और माटी से एक हैं। कई क्षत्रिय व ब्राह्मण वंशियों ने इस्लाम ग्रहण किया, लेकिन संस्कृति नहीं बदली।

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वहीं कुछ राजपूतों ने भले ही धर्म परिवर्तन किया, मगर अपने नाम के आगे कुंवर लिखना नहीं छोड़ा। इससे पता चलता है कि मुस्लिम समाज की जड़ें हिंदुस्तान के गांव-जातियों से किस कदर जुड़ी हुई हैं। केवल पूजा पद्धति बदली है, जमीन-जायदाद और खून एक ही है। कहा जब हम अपना इतिहास खंगालते हैं तो हमें अपनी जड़ों की सच्चाई का पता चलता है। देश के हर नागरिक को अपने पूर्वजों के बारे में जरूर जानना चाहिए, ताकि एक-दूसरे के प्रति भावनात्मक रिश्ता बरकरार रह सके। इसी सोच के साथ राष्ट्रव्यापी अभियान 'जड़ों की तलाश' की शुरूआत बनारस से की गई है। कहा कुछ लोगों द्वारा गलतफहमी पैदा करने से मुसलमान समाज की मुख्य धारा से कट गया। मगर अब जड़ों को तलाशने के बहाने जुड़ाव के कारण खोजे जाएंगे। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को शिक्षा, सेवा, सद्भावना और राष्ट्रभक्ति के माध्यम से मुख्य धारा में शामिल करेगा।

ये प्रस्ताव हुए पारित

- मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हर मोहल्ले में खुदाई खिदमतगार कमेटी व परिवार सुलह केंद्र करेगा स्थापित।

- मुसलमानों की समस्याओं को पंजीकृत कर तैयार की जाएगी रिपोर्ट।

- कौशल विकास से जोड़े जाएंगे मुसलमानों की पिछड़ी जातियों के काम।

- सिजरा व ऐतिहासिक दस्तावेज के माध्यम से मुस्लिमों की जड़ों की तलाश।

- दोनों वर्ग के बीच विकसित किया जाएगा भावनात्मक रिश्ता।

- शिक्षा व रोजगार से जोड़े जाएंगे मुस्लिमों के बच्चे।

- 'मेरी माटी, मेरी पहचान-मेरा वतन, मेरी जान' नारे को बनाया गया सूत्र वाक्य।


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