Mission UP 2022 : हम लड़ रहे व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई, बहुजन समाज पार्टी भी जनता को देंगे बेहतर विकल्प
विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल जोर-शोर से तैयारी में जुट गए हैैं। सियासी समीकरण साधते हुए जनहित के मुद्दों को पहचानने और लोगों को बेहतरी का भरोसा दिलाते हुए चुनावी समर में जीत की जमीन तैयार की जा रही है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। Mission UP 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल जोर-शोर से तैयारी में जुट गए हैैं। सियासी समीकरण साधते हुए जनहित के मुद्दों को पहचानने और लोगों को बेहतरी का भरोसा दिलाते हुए चुनावी समर में जीत की जमीन तैयार की जा रही है। बहुजन समाज पार्टी भी जनता को बेहतर विकल्प देने के दावे के साथ लोगों के बीच पहुंच रही है और प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन की अपनी लड़ाई को धार दे रही है। चुनाव की तैयारी के संबंध में बसपा जिलाध्यक्ष इंजीनियर नवीन भारत से दैनिक जागरण के संवाददाता मुहम्मद रईस ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश...।
चुनाव में मुख्य एजेंडा क्या होगा?
- भाजपा की गलत नीतियों और उनके दुष्प्रभाव से जनता ऊब चुकी है। किसान, बुनकर, युवा, व्यापारी सब परेशान हैं। महंगाई चरम पर है और रोजगार के अवसर सिमटते जा रहे हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और विकास के नाम पर स्वांग रचा जा रहा है। ऐसे माहौल में व्यवस्था परिवर्तन ही हमारा मुख्य एजेंडा है।
व्यवस्था परिवर्तन कैसे करेंगे?
- आजादी के समय हमारे देश में अमीरी-गरीबी की बड़ी खाई थी। बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर ने संविधान के जरिये शोषित, वंचित तबके को बल दिया, जिससे असमानता की खाई कम हुई। बसपा इसी खाई को पाटने की कोशिश करती आ रही है, ताकि समतामूलक समाज की परिकल्पना साकार हो सके। समाज के सहयोग से ही हम व्यवस्था परिवर्तन करेंगे।
भाजपा को किस तरह चुनौती देंगे?
- कभी-कभी लहर चलती है, जिसमें सब झुक जाते हैं। हवा के गुबार में जनता को कुछ दिखाई नहीं देता। अब लहर शांत हो चुकी है। जनता को सब कुछ स्पष्ट दिख रहा है। बसपा हर कदम पर भाजपा को चुनौती दे रही है। अब ब्राह्मïण वर्ग के जुडऩे से सत्ता में बैठे लोग बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में राष्ट्रीय महासचिव के आगमन को लेकर शहर भर में लगे 100 से अधिक बैनर फाड़े गए।
जनता से जुड़ाव कैसे बढ़ा रहे हैैं?
बसपा कार्यकर्ता वंचितों-शोषितों की लड़ाई को अपना मानकर कानून के दायरे में रहकर व्यवस्था से लड़ते रहे हैं। हम सुख-दुख में उनके बीच होते हैं। चुनाव के मद्देनजर संगठन स्तर पर फेरबदल किए गए हैं, जिसमें सर्वसमाज को प्रतिनिधित्व दिया गया है। मैं स्वयं साफ्टवेयर इंजीनियर हूं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर युवाओं को जातिगत दायरे से बाहर निकालते हुए पार्टी से जोड़ा जा रहा है।
'तिलक-तराजू...Ó के नारे ने पार्टी छवि को कितना नुकसान पहुंचाया?
- यह नारा हमारा था ही नहीं। प्रबुद्ध वर्ग को जुड़ता देख उस वक्त बसपा से निकले कुछ नेताओं ने यह नारा देकर पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की। ऐसे लोगों ने ही बाद में भाजपा से गठबंधन भी किया। आज उनका कोई वजूद नहीं रहा। हमने तो नारा दिया था- 'हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु-महेश है।
क्या चंद्रशेखर के बसपा के खिलाफ आने से कोई फर्क पड़ेगा?
- बिल्कुल नहीं। बसपा के साथ सर्वसमाज के लोग, पढ़े-लिखे युवा जुड़ रहे हैं। पार्टी ने जमीनी स्तर पर काम करके लोगों का भरोसा जीता है। इस तरह की पार्टी या ऐसे नेताओं से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हाल में जो लोग दलित-मुस्लिम गठबंधन का दावा कर रहे थे, वे भाजपा के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। जनता सब देख और समझ रही है।
चुनाव जीतने के लिए क्या रणनीति अपना रहे हैं?
- जिले की सभी आठ सीटों पर चुनाव जीतने के लिए बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सक्रिय हैं। हर बूथ पर पांच युवा कार्यकर्ताओं को जोड़ा जा रहा है। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय कर दिया गया है। बूथ पर ही कैडर कैंप लगाकर बसपा के कार्यों और इतिहास की जानकारी दी जा रही है। आम शहरी ही नहीं अब प्रबुद्ध वर्ग भी पार्टी से जुड़ रहे हैं, जो अच्छे संकेत हैं।