स्वच्छता जागरूकता बिना स्वस्थ समाज की परिकल्पना अधूरी
वाराणसी : स्वस्थ समाज की परिकल्पना तभी की जा सकती है जब स्वच्छता के प्रति लोग जागरूक हों। 31 दिस
वाराणसी : स्वस्थ समाज की परिकल्पना तभी की जा सकती है जब स्वच्छता के प्रति लोग जागरूक हों। 31 दिसंबर तक जिले को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए सबको मिलकर हरसंभव प्रयास करना होगा। यह बातें शनिवार को चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल में पंचायती राज विभाग की ओर से आयोजित 'स्वच्छता ही सेवा' विषय प्रधानों के उन्मुखीकरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने कही।
उन्होंने कहा स्वच्छता प्रधानमंत्री का सपना है और इसे हर हालत में हकीकत में बदलने के लिए शहर से लेकर गांव तक प्रयास किए जा रहे हैं। जनपद में 309 गांव ओडीएफ हुए हैं। अभी तक जिले में कुल 1.51 लाख शौचालय बनाए जा चुके हैं। शेष 1.10 लाख को 31 दिसंबर तक बना लिया जाएगा। विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम सरकार की प्राथमिकता का कार्यक्रम है। इसमें किसी भी स्तर पर कोताही न बरती जाए। यदि सभी ग्राम सभाएं पूरी तरह स्वच्छ हो जाएं तो स्वच्छता कार्यक्रम सौ फीसद सफल हो जाएगा। कहा स्वच्छता कार्यक्रम में ग्राम प्रधानों की भागीदारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ग्राम स्तर पर इसे आप ही संचालित कर रहे हैं। इस दौरान अपने कार्य क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले ग्राम प्रधान अजय सिंह, राकेश कुमार सिंह, पदुम पांडेय, सुभाष, श्याम बहादुर पटेल, शिवबचन सिंह चौहान, दिलीप कुमार मौर्य व बच्चा लाल पटेल को नगर विकास मंत्री ने सम्मानित किया। इसके बाद उन्होंने 760 ग्राम प्रधानों को स्वच्छता सेवा की शपथ दिलाई। अध्यक्षता कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने की। धन्यवाद ज्ञापन जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने किया।
बोले ग्राम प्रधान
''इन दिनों बालू व गिट्टी की कमी से शौचालय निर्माण कार्य समय से नहीं हो पा रहा है। प्रशासन 12 हजार में बनवाने का दबाव बना रहा है जो व्यवहारिक तौर पर संभव नहीं।''
-गोपाल प्रधान, ग्राम सहावाबाद
कोटेदार फर्जी तरीके से परिवार के कई सदस्यों के नाम से शौचालय निर्माण करा रहे हैं। विरोध करने वाले प्रधानों को फर्जी मुकदमे में फंसाया जा रहा है।
-राम किशोर यादव, ग्राम जक्खिनी
लागत व बालू गिट्टी महंगी होने से शौचालय निर्माण में 14 हजार रुपये लागत आ रही है। मंत्री महोदय से बात करके अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।
-कमलेश कुमार पटेल, ग्राम बैरवन
हमारे यहां साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया जाता है। ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने के लिए नियमित तौर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
-जीतेंद्र प्रसाद उपाध्याय, ग्राम पनियरा
गांव को खुले में शौचमुक्त करने के लिए घर-घर जाकर लोगों को प्रेरित किया। गांव वालों ने भी साथ दिया। इसके चलते गांव साफ-सुथरा और बीमारियों से मुक्त हो सका है।
-पदुम पांडेय, ग्राम ऐढ़े
165 शौचालय स्वीकृत थे जिसमें हमने 143 का निर्माण कराया। शासन की ओर से 115 का ही बजट मिला। शेष धनराशि वापस चली गई। बावजूद इसके गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया।
-अनिल सिंह, ग्राम नरोत्तमपुरा
विरोधी विकास कार्यो में हमेशा रोड़ा अटकाने की कोशिश करते हैं, जिससे गांव का विकास कार्य प्रभावित होता है। अड़चनों के बावजूद हमारा गांव जनपद का पहला ओडीएफ गांव बना।
-वीरेंद्र उपाध्याय, ग्राम मोहनसराय
12 हजार में शौचालय निर्माण करा पाना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। इस मुद्दे को नगर विकास मंत्री के सामने रखने के लिए मौका मिलना चाहिए था।
-अर्चना मौर्या, ब्लाक प्रमुख हरहुआ