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करने होंगे गजराज को बचाने के उपाय, खतरे में पड़ा इनका अस्तित्व

बेशकीमती और बहुपयोगी हाथी दांत के लिए किए जा रहे अवैध शिकार के कारण हाथियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। भारत चीन इंग्लैंड फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में हाथी दांत से जुड़ी ऐसी सभी सामग्री पहले से ही प्रतिबंधित हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 11:41 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 11:41 AM (IST)
करने होंगे गजराज को बचाने के उपाय, खतरे में पड़ा इनका अस्तित्व
आज गजराज का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।(फोटो: दैनिक जागरण)

वाराणसी, सुधीर कुमार। गत एक सितंबर को सिंगापुर सरकार ने हाथी दांत और उससे बने उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। भारत, चीन, इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में हाथी दांत से जुड़ी ऐसी सभी सामग्री पहले से ही प्रतिबंधित हैं। वैसे तो ‘वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ द्वारा 18 जनवरी, 1990 से ही हाथी दांत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध लागू है, परंतु ठोस कानून और सख्ती के अभाव में यह व्यापार भारत में धड़ल्ले से जारी है। हाथी दांत और अन्य गतिविधियों के लिए हाथियों के अवैध शिकार से हाथी संरक्षण की मुहिम को धक्का लगा है।भारत में हाथियों की आíथक, धाíमक और सामरिक महत्ता रही है। भारतीय संस्कृति में हाथी शक्ति और शांति के प्रतीक माने जाते हैं। हाल के दौर में मानव-हाथी टकराव, बिजली के तारों की चपेट में आने, रेलों से कट जाने, अवैध शिकार, भूस्खलन और बीमारियों के चलते हाथियों की संख्या प्रभावित हुई है। बेशकीमती और बहुपयोगी हाथी दांत के लिए किए जा रहे अवैध शिकार की वजह से आज गजराज का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

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विडंबना है कि हाथियों की कुछ प्रजातियों के संकटापन्न होने तथा कई सख्त कानूनों के बावजूद देश में हाथियों की हत्या का सिलसिला थमा नहीं है। तस्कर हाथियों को करंट लगाकर, जहर देकर और गोली मारकर मौत के घाट उतार देते हैं और दांतों को काटकर ले जाते हैं। अगर यही आलम रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम हाथी की दो अन्य प्रजातियों की तरह एशियाई हाथी को भी विलुप्त होते हुए देखेंगे। हमें ऐसा नहीं होने देना है। देश में हाथियों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने 13 अक्टूबर, 2010 को हाथी को ‘राष्ट्रीय विरासत पशु’ घोषित किया था। तीन राज्यों-झारखंड, कर्नाटक और केरल हाथी को ‘राजकीय पशु’ घोषित कर चुके हैं। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत देश में हाथी दांत या उससे निर्मित वस्तुओं का क्रय-विक्रय प्रतिबंधित है। हाथी का शिकार या उसके दांत का व्यापार करने पर देश में सात साल के सश्रम कारावास तथा न्यूनतम 25 हजार रुपये के आíथक दंड का प्रविधान है, लेकिन चोरी-छिपे यह कारोबार बदस्तूर जारी है। गत 21 जुलाई को झारखंड के गढ़वा में तस्करों ने एक हाथी की गोली मारकर हत्या कर दी और उसके दांत लेकर फरार हो गए। 23 जून को पटना वन प्रमंडल की टीम ने 35 किलो हाथी दांत के साथ एक डाक्टर समेत तीन लोगों तथा 21 जून को सोनभद्र में पुलिस ने 10 किलो हाथी दांत के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था। अगर तस्करी की इन घटनाओं को रोका न गया तो गजराज के संरक्षण का कार्य और भी मुश्किल हो जाएगा। हाथी पारिस्थितिकी तंत्र के विशिष्ट अंग हैं। उनके संरक्षण के प्रति हमें तत्परता दिखानी ही होगी।

(लेखक बीएचयू में शोध अध्येता हैं)


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