वाराणसी में करोड़ों की योजनाओं को धरातल पर उतारने की चुनौती
जरूरी है कि रिंग रोड के आसपास नया बस स्टैंड बनाया जाए और वहां उस मार्ग के बसों का ठहराव बने।
दिन प्रतिदिन बनारस तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं नियोजित तरीके से विकसित करने की जरूरत है। शहर को जरूरत के मुताबिक विकसित करना होगा। करोड़ों की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए अभी और मेहनत करने की जरूरत है।
विभागीय समन्वय के अभाव में इन दिनों शहर जाम और अनियोजित विकास का दंश झेलने को विवश है, जबकि अध्यात्म की नगरी में धरोहर को संरक्षित करने की जरूरत है। सरकार के साथ आम लोगों के स्तर पर पहल की जाए तो काफी हद तक सुधार हो सकता है।
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स्टेशनों को किया जाए विकसित
शहर की भीड़ और जाम को कम करने के लिए जरूरी है कि आसपास के रेलवे स्टेशनों को विकसित किया जाए। स्टेशन के विकसित होते ही कई प्रमुख ट्रेनों का वहां ठहराव किया जा सकता है, जिससे यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होगी। मंडुआडीह स्टेशन की तर्ज पर राजातालाब, शिवपुर और सारनाथ स्टेशन को विकसित करना जरूरी है।
रिंग रोड पर बने बस स्टैंड
बनारस को तीन नेशनल हाइवे जोड़ते हैं। गोरखपुर-वाराणसी, लखनऊ- वाराणसी और आजमगढ़-वाराणसी। इसको देखते हुए परिवहन निगम को अलग से योजना बनाने की जरूरत है। शहर के बीच बस स्टैंड होने से दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। राहगीर कैंट मार्ग से गुजरने में घबराते हैं।
जरूरी है कि रिंग रोड के आसपास नया बस स्टैंड बनाया जाए और वहां उस मार्ग के बसों का ठहराव बने। रिंग रोड से सिटी बसों की व्यवस्था की जाए जिससे यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होगी। जैसे- इलाहाबाद मार्ग पर राजातालाब, गाजीपुर मार्ग पर आशापुर, आजमगढ़ मार्ग पर लमही और मुगलसराय में बस स्टैंड बनाने की जरूरत है।
एयरपोर्ट पर पर्यटकों का दबाव
काशी अध्यात्म की नगरी होने के कारण देशी-विदेशी पर्यटक काफी संख्या में आते हैं। सारनाथ बौद्ध अनुयायियों का तीर्थस्थल होने के कारण विदेश से आने-जाने वाले विमानों की मांग बढ़ी है। ऐसे में जरूरी हो गया कि एयरपोर्ट का विस्तारीकरण हो। हालांकि विस्तारीकरण की योजना है, लेकिन कब काम शुरू होगा, यह किसी को मालूम नहीं है। फिलहाल एयरपोर्ट का रन-वे करीब 2700 मीटर हैं। उसे बढ़ाकर 3500 मीटर करने की जरूरत है।
यातायात के लिए बने योजना
शहर में जरूरत के मुताबिक यातायात व्यवस्था पर जोर देने की जरूरत है। यातायात के लिए सही ढंग से योजना नहीं बनने के चलते सड़क पर खड़े होकर वाहनों का इंतजार करते हैं। साथ में अधिक किराया लगता है। सभी विभागों को आपस में सामंजस्य बनाकर योजना बनानी होगी, जिससे लोगों को आराम मिल सके।
गंगा घाटों पर बने स्टेशन
पर्यटकों के हिसाब से शहर और आसपास सुविधाएं नहीं हैं। जरूरत है पर्यटकों के हिसाब से योजना बनाने की। गंगा में फेरी सर्विस शुरू किया जाए। गंगा घाटों पर स्टेशन बने ताकि लोग नौका विहार का आनंद ले सके। इससे शहर की सड़कों पर वाहनों का लोड कम होगा। साथ में जाम से लोगों को राहत मिलेगी। वहीं, शव यात्रा में भी लोग अधिक संख्या में शामिल होते हैं, इन्हें नावों से घाटों पर आने की व्यवस्था करनी होगी।
- बृंद कुमार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीएचयू में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर हैं।