Move to Jagran APP

विकास के प्लेटफार्म पर दौड़ी काशी

शहर की पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शहर में करीब 800 करोड़ के काम चल रहे हैं। सारनाथ में 100 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट। अमृत योजना से शहर में 50 हजार घरों में मुफ्त पानी कनेक्शन दिए जा रहे हैं, अभी तक 21 हजार भवनों में हो सका है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 07:32 PM (IST)
विकास के प्लेटफार्म पर दौड़ी काशी

देश की आध्यात्मिक नगरी काशी। कई बरस तक पेयजल, स्वच्छता, सड़क, सीवर समेत कई दूसरी बुनियादी सुविधाओं को तरसने वाला शहर अब विकास के ट्रैक पर सरपट दौड़ रहा है। पूरे देश में बनारस में विकास को मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश हो रही है। पिछले चार वर्ष में विकास, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ सर्वेक्षण और खुले में शौचमुक्त शहरों की रैंकिंग में अग्रिम पायदान पर खड़े शहर में 'उत्तम प्रदेश' की छाप दिखाई पड़ रही है।

loksabha election banner

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी

विकास को धरातल पर उतारने की होड़ दर्शाती है कि ब्यूरोक्रेसी किस तरह 'फास्ट मोड’ में है। करीब 17 हजार करोड़ के विकास कार्य चल रहे हैं। बिजली की भूमिगत लाइन, सिटी गैस सिस्टम, रिंग रोड, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, हेरिटेज पोल और कार्गो आदि प्रमुख कार्य अब बुनियादी सुविधाओं की मजबूती का अहसास करा रहे हैं। 315 परियोजनाएं स्वीकृत है, इनमें 279 परियोजनाएं पूरी हो गईं।

432 करोड़ रुपये खर्च, फिर भी बिजली से नहीं मिली राहत

बिजली के खंभे और तार जर्जर होने से आए दिन विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है। हालांकि पुरानी काशी में 432 करोड़ से आईपीडीएस से भूमिगत लाइन डाली जा रही है। अब पूरे शहर में भूमिगत लाइन बिछाने के लिए 1160 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। ग्रामीण क्षेत्र में भी करीब 1100 करोड़ का काम चल रहा है, शहर में कुल 860 करोड़ रुपये का काम चल रहा है। हालांकि इस प्रयास को कटियाबाजी की समस्या पानी भी फेरती हुई दिखाई पड़ रही है, कारण कि इतने रुपये खर्च करने के बाद इस ओर पुरजोर ढंग से प्रयास की जरुरत है।

अनियोजित कार्य पर रखनी होगी नजर

हाइवे तो चमक रहे हैं, लेकिन गलियों और मुख्य मार्गों को नियोजित तरीके से बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और वीडीए समेत कई एजेंसियों को संबंधित विभागों को आपस में समन्वय स्थापित करनी चाहिए ताकि जो सड़कें खोदी जाएं, वह समय पर बन भी जाएं ताकि शहर परेशान न हो।

संकरी सड़कों पर गाड़ियां

पुराना शहर होने के कारण सड़कें संकरी है, उसके सापेक्ष सड़कों पर गाड़ियों की भरमार है, फिर भी लोग संकरी सड़कों पर कार लेकर चले जा रहे हैं। अतिक्रमण शहर की बड़ी समस्या है, लेकिन इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। नालियां पट चुकी हैं, और जो भवन बनें हैं, उन्होंने बेसमेंट पार्किंग नहीं बनाया। विभिन्न चौराहों पर सिग्नल भी खराब पड़े हैं, हालांकि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सिटी कमांड कंट्रोलिंग सेंटर से स्मार्ट करने की कोशिश चल रही है।

परिवहन व्यवस्था में सुधार की जरुरत

परिवहन निगम और परिवहन विभाग ने आम लोगों की सुविधा को देखते हुए कोई व्यवस्था नहीं की है। वाराणसी परिक्षेत्र से स्कैनिया, वोल्वो, जनरथ, सामान्य समेत 649 बसें संचालित हैं। जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी के लिए चल रही 130 बसों की हालत दयनीय है। बसें शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर चलती हैं, जबकि इन्हें शहर के अंदर भी संचालित करने की बात थी।

परिवहन विभाग ने 4850 ऑटो रिक्शा को सिटी परमिट दिया है, लेकिन एक भी निश्चित मार्ग पर नहीं चलती हैं। ई-रिक्शा तो शहर के लिए मुसीबत हो गई हैं। यह कब और कहां, किस सड़क और गली में घुस जाएंगी कोई भरोसा नहीं है, इसके चलते घंटों जाम लगता है।

ओवरहेड टैंक से नहीं जोड़ा कनेक्शन

शहर की पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शहर में करीब 800 करोड़ के काम चल रहे हैं। सारनाथ में 100 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट। अमृत योजना से शहर में 50 हजार घरों में मुफ्त पानी कनेक्शन दिए जा रहे हैं, अभी तक 21 हजार भवनों में हो सका है। फिर भी व्यवस्था नहीं सुधरी।

पार्क बहुत मगर ज्यादातर उजड़े हुए

नगर निगम अफसरों की लापरवाही के चलते पार्कों का अस्तित्व खतरे में हैं। लोग कूड़ा फेंक रहे हैं, छुट्टा पशु उसके अंदर चक्रमण करते हुए दिखाई पड़ेंगे। शहर में 259 पार्क हैं। पार्कों के सुंदरीकरण के नाम पर अफसरों ने करोड़ों रुपये का बंदरबांट कर लिया। स्मार्ट सिटी और अमृत योजना से शहर के 14 पार्कों का जीर्णोद्धार हो रहा।

दूषित हवा होगी जानलेवा

शहर में मानक से कई गुना हवा दूषित होने से लोग विभिन्न बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। प्रदूषण को लेकर पिछले दिनों बनारस देश में तीसरे स्थान पर आ चुका है। कल-कारखानों और घने शहर में बड़ी संख्या में वाहनों से निकले धुएं वायु मंडल को दूषित कर रहे हैं।

ये हैं महत्वपूर्ण परियोजनाएं

253 करोड़: ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर बड़ा लालपुर
180 करोड: कन्वेंशन सेंटर
15 करोड़: मालवीय एथिक्स सेंटर बीएचयू
13.60 करोड़: 153 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण
4.09 करोड़: 68 स्थलों का हेरिटेज विकास
15.52 करोड़: हृदय योजना से 29 हेरिटेज सड़कें बनाई गईं
4.50 करोड़: दुर्गाकुंड, लक्ष्मी कुंड समेत तीन तालाबों का जीर्णोद्धार
131.16 करोड़: जलापूर्ति योजना प्रथम फेज
02 करोड़: डीसेंट्रलाइज्ड वेस्ट टू एनर्जी पहड़िया प्लाट।
36821 एलईडी स्ट्रीट लाइट
3810 हेरिटेज पोल निर्माणाधीन कार्य
4447 करोड़: एनएचएआइ द्वारा एनएच 56, एनएच 233, एनएच 29 और 'रिंग रोड प्रथम फेज
812.36 करोड़: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बाबतपुर से वाराणसी तक फोरलेन निर्माण कार्य
30 करोड़: गेल इंडिया लिमिटेड द्वारा वाराणसी शहरी गैस वितरण योजना का काम अंतिम चरण में
159.59 करोड़: भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आइडब्ल्यूटी मल्टी मॉडल टर्मिनल रामनगर
4.35 करोड़: भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड द्वारा पेरिशेबल कार्गो राजातालाब का निर्माण कार्य


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.