वाराणसीः विपदा में जिंदगी की आशा, एनडीआरएफ ने 3 सालों में बचाई 50 जानें
उनका कहना है कि एनडीआरएफ का दफ्तर सांस्कृतिक संकुल में 2015 में स्थापित हुआ।
आपदा हो या विपदा, हर मौके पर जिंदगी की आखिरी आशा के रूप में सामने आती है एनडीआरएफ। बनारस में 2015 में स्थापित एनडीआरएफ की बटालियन आज तक 50 से ज्यादा लोगों की जान बचा चुकी है। मगर हमें जवानों के भरासे नहीं रहना होगा। खुद को ऐसा बनाएं कि वह खुद को बचाने के साथ ही दूसरे को भी जिंदगी दे। इस भाव और प्रयास को हमेशा बनाए रखना होगा। यह कहना है कि 11 एनडीआरएफ के डीआईजी आलोक कुमार का।
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उनका कहना है कि एनडीआरएफ का दफ्तर सांस्कृतिक संकुल में 2015 में स्थापित हुआ। यहीं से पूरे यूपी और एमपी में आपदा के दौरान राहत के लिए जवान जाते हैं। बनारस में अब तक लगभग 50 लोगों की जानें बचाई जा चुकी हैं। यह सब कुछ जनता के सहयोग से ही संभव हो पाया है। शहर की सुरक्षा के लिए हमें और सचेत रहना होगा।
एनडीआरएफ की ओर से पिछले कुछ महीनों में स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थलों पर जागरूकता अभियान चलाया गया। लोगों को जवानों की तरह ही खुद को बचाने के अलावा अपनों को भी सुरक्षित करने के तरीके बताए गए। उनसे अपील की गई कि वे अपने घरों के आसपास भी इस तरह की गोष्ठी करें। इससे किसी भी तरह की आपदा में सुरक्षित बचा जा सकता है।
बकौल, आलोक कुमार घाटों पर स्नान से लेकर मंदिरों में दर्शन पूजन तक हर समय एनडीआरएफ की मांग रहती है। हादसा हो या आपदा जवान ही जानमाल को काफी हद तक सुरक्षित करते हैं, मगर सीमित साधन संसाधन के चलते जिस गति से मदद पहुंचनी चाहिए उतना पहुंचना कई बार संभव नहीं हो पाता। ऐसे में लोगों को जागरूक कर अपने हाथ को मजबूत बनाया जा रहा है। हर कोई यदि मजबूत होगा, व्यवस्था में सहयोग करेगा तो ही ज्यादा से ज्यादा शहर सुरक्षित हो सकेगा।
एनडीआरएफ अफसरों के मुताबिक इस वर्ष से लोगों के बीच जागरूकता का कार्यक्रम शुरू किया गया है। उसकी बदौलत अब लोग भी जागरूक होने लगे हैं। हर हादसे में जन जन की सहभागिता से काम होने लगा है। इस वर्ष करीब 500 लोगों को जागरूक किया गया। करीब 50 जगहों पर कैंप लगाकर जन-जन को जोड़ा गया जिससे कि आपदा विपदा के समय अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
आलोक कुमार कहते हैं कि बनारस ऐसा शहर है जहां अलग-अलग मत और विचार के लोग रहते हैं। यहां की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करना हर किसी की जिम्मेदारी है। ऐसे में यहां समन्वय बनाकर काम करना थोड़ी मुश्किल जरूर होता है, लेकिन इस काम को जवान बखूबी अंजाम दे रहे हैं। पुलिस के धैर्यवान अफसरों को इसके लिए धन्यवाद देता हूं कि बनारस में हर मौकों पर बेहतर से काम कर रहे हैं।
एनडीआरएफ के डीआईजी का कहना है कि हमें संगठित भाव से प्रशिक्षित होना होगा। किसी भी आपदा के समय तत्काल घर से बाहर आना होगा। उस दौरान सामान की बर्बादी को भूलना होगा। सुरक्षित स्थान पर सभी को ले जाकर हमें अपनी और दूसरों की भी जान बचानी होगी।
अपराध और जाम के संबंध में आलोक कुमार का विचार है कि अभी के नियम कानून और व्यवस्था ठीक है। बस जरूरत है तो व्यवस्थाओं को अमल में लाने की। हमें हर चीज के लिए पुलिस को ही दोषी नहीं बनाना होगा। अपने भी जागरूक होना होगा। लोगों के बीच जागरूकता व प्रशिक्षण के भाव को पैदा करना होगा। इन सभी कवायदों में यदि हम खरे उतर गए तो सुरक्षा व यातायात व्यवस्था में बनारस काफी ऊपर उठ जाएगा।
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