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वाराणसी : बदलते जमाने के साथ एक युवा की कोशिश रोजगार देने और आर्थिक प्रगति की

ज्यादातर स्वरोजगार से थोड़ा दूरी बनाए रखते हैं। बिजनेस को लेकर खतरा महसूस करते हैं, लेकिन भागीरथ जालान ने ऐसा नहीं किया।

By Krishan KumarEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)
वाराणसी : बदलते जमाने के साथ एक युवा की कोशिश रोजगार देने और आर्थिक प्रगति की

यह दौर युवाओं का है और युवा नई कहानी लिखने में पीछे भी नहीं है। बदलते जमाने के तौर-तरीकों के साथ एक युवा परिवार के कारोबार को बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं। कोशिश लोगों को रोजगार देने और आर्थिक प्रगति की। पूर्वांचल के युवा नौकरी को ही ज्यादा तरजीह देते हैं।

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आगे बढ़ने की हसरत तो हर इंसान की होती है। सपने पालते हैं, लेकिन साकार करने चलें तो संसाधनों की कमी, धनाभाव और चुनौतियों के तमाम बहाने गाते अधिकांश लोग मिल जाएंगे। लेकिन, चुनौतियों से कैसे जूझा जाए, मुश्किलों को कैसे मात दी जाए और जो इंसान छोटी सी नौकरी के भरोसे रहा हो, वह खुद अपने पैरों पर खड़ा होने के साथ ही कई परिवारों की आय का सहारा बन जाए, इसी जज्बे और सफलता की प्रेरणा हैं शहर का युवा उद्यमी भागीरथ जालान।

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ज्यादातर स्वरोजगार से थोड़ा दूरी बनाए रखते हैं। बिजनेस को लेकर खतरा महसूस करते हैं, लेकिन भागीरथ जालान ने ऐसा नहीं किया। विदेश में पढ़ाई, अनुभव के बाद काशी आकर अपने दादा-पिता के कारोबार में जुट गए। नए अंदाज के साथ उन्नति के पथ पर पहुंचने की चुनौती को स्वीकारा है।

रिटेल के सेक्टर में आज एक नई पहचान उनके पास है। कार्डिफ विश्वविद्यालय, यूके से स्नातक की पढ़ाई की। लीडरशिप कोर्स लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स से करके नेतृत्व क्षमता का विकास किया। रिटेल सेक्टर में आने के लिए अपने गुरु एसपी मिश्रा, दामोदर मल और किशोर बियानी से एक साल तक जरूरी टिप्स हासिल किए।

दिग्गजों से अनुभव लेकर अपने को निखारने का कार्य करते रहे। बनारस में आधुनिक, सस्ते और टिकाऊ कपड़े की विस्तृत रेंज के साथ बाजार में उतरे। ग्राहकों का विश्वास मिलता गया और बनारस से कदम आसपास के जिलों में भी बढ़ने लगा है। बनारस, आजमगढ़, जौनपुर, इलाहाबाद में रिटेल कारोबार में पैर जमाया। उनके प्रयासों से करीब एक हजार लोगों को तो प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ है।

सामाजिक दायित्व की पहल
रिटेल कारोबार में सफलता के साथ ही कई सामाजिक-धार्मिक दायित्व को भी निभाते हैं। पारिवारिक परंपरा को कायम रखते हुए समाज सेवा के विविध कार्यों को पूरा किया जा रहा है। आज के दौर में इसे कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी कहा जाता है। कारोबार आय-लाभ का कुछ हिस्सा सामाजिक सरोकारी पक्षों में पूरा करने की कोशिश होती हैं, क्योंकि सरोकार की जिम्मेदारी भी हम सभी पर है, जिसे पूरा करने की पहल की जाती है।

युवा कारोबारी भागीरथ जालान ने कहा, " एक ही छत के नीचे ग्राहकों को सभी उत्पाद उपलब्ध हो, इसके लिए लगातार कोशिशें जारी है। कपड़ा, श्रृंगार की चीजें, घरेलू इस्तेमाल की वस्तुएं साथ ही सब्जी, फल और अनाज भी एक ही स्टोर में मिल जाए तो ग्राहकों के लिए सुविधा होती है। बेहतर क्वालिटी और उचित कीमत हो तो भी क्या बात है। पूर्वांचल में इस तरह का कारोबार बहुत कम है। युवा वर्ग अपने क्षेत्र में रोजगार को तैयार नहीं है। यहां युवा अन्य जगहों पर नौकरी करने को तैयार है, लेकिन अपना उद्यम या रोजगार के बारे में नहीं सोचता है।" 

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