प्रवासी भारतीय दिवस : अपनी सरकार के दो वर्ष होने पर प्रविंद पूर्वजों को करेंगे नमन
प्रविंद जगन्नाथ के मन में जितना मॉरीशस बसता है उससे कमतर कहीं भारत का जुड़ाव नहीं है, यही वजह है कि अब भी वह भारत में अपने गांव की तलाश में लगे हुए हैं।
वाराणसी [अभिषेक शर्मा]। प्रवासी भारतीय दिवस के मुख्य मेहमान होंगे मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ। उनके पुरखे अंग्रेजों द्वारा मॉरीशस ले जाए गए और वहां पीढिय़ों ने तरक्की का सफर तय किया और सरकार के मुखिया तक बने। प्रविंद के मन में जितना मॉरीशस बसता है उससे कमतर कहीं भारत का जुड़ाव नहीं है। यही वजह है कि अब भी वह भारत में अपने मूल गांव की तलाश में लगे हुए हैं।
प्रविंद की सरकार गठन के दो वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान ही पूरे हो रहे हैं। 23 जनवरी 2017 को वह मॉरीशस के प्रधानमंत्री के तौर पर चयनित हुए थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर उनको बधाई दी थी। उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और मॉरीशस के बीच मित्रता संबंध मजबूत बनाने को निवर्तमान प्रधानमंत्री सर अनिरुद्ध जगन्नाथ के नेतृत्व और योगदान की सराहना भी की थी।
मॉरीशस में सरकार के जब दो वर्ष पूरे होंगे तब अपने पूर्वजों की भूमि वाराणसी और बलिया में आकर वे स्मृतियों को सहेजेंगे। इस दौरान पूर्वजों की भूमि बलिया में आकर अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर उनको नमन करेंगे। मॉरीशस के उच्चायुक्त भी कई माह से प्रधानमंत्री के पैतृक गांव की बलिया जिले में तलाश कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि बलिया में स्थाई घर या परिवार तो नहीं मगर वह गांव जरूर मिला जहां से उनके पूर्वज जाकर बसे थे।
एक शताब्दी से अधिक पहले से मॉरीशस में मजदूरी के लिए ले जाए गए भारतवंशियों की मौजूदा पीढ़ी के लोगों में बड़ी संख्या में लोग अपनी मेहनत और संघर्षों की बदौलत मालिक बन चुके हैं। वहां की व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों पर हैं, कई सरकार का हिस्सा भी हैं। मॉरीशस में बसे काफी लोग पशुपालन से भी जुड़े हुए हैं, मगर वहां पशु विदेशी नस्लों के ही हैं। अब वहां बसे भारतीयों के बीच हिंदुस्तानी देसी नस्ल की गायों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। भारत सरकार के जरिए अब मॉरीशस में देसी गायों को भी बसाने की तैयारी की जा रही है। ऐसा होने के बाद निश्चित तौर पर वहां बसे भारतवंशी अपने पूर्वजों संग गाय-गोरू और इंसानी रिश्तों के परंपरागत मूल्यों से भी जुड़ सकेंगे। मॉरीशस में बसे भारतवंशी लोगों की सफलता की तमाम कहानियां हैं। जड़ से जहां तक भारतीय लोगों के संघर्ष से आज मॉरीशस विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रहा है।
भोजपुरी माई से नाता : भोजपुरी माई का विश्व का पहला मंदिर काशी में स्थापित किया गया है। भारत में मॉरीशस के उच्चायुक्त जगदीश गोबर्धन बताते हैं कि मां का सम्मान होगा तभी आने वाली पीढिय़ों और बेटियों को सम्मान हासिल हो सकेगा। मॉरीशस में भोजपुरी बोलने वाला समुदाय जब काशी में आएगा तो उसे भाषा और बोली से अपनत्व भी महसूस होगा।