कश्मीर भारत का, कश्मीर ही नहीं हमें कश्मीरियत भी चाहिए : मौलाना महमूद मदनी
वाराणसी में आयोजित जमीअत के शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि माैलाना महमूद मदनी रविवार को पहुंचे। उन्होंने कहा पुलवामा हमले की जितनी निंदा की जाय कम है।
वाराणसी, जेएनएन। भारत का मुसलमान हमेशा से कश्मीर के अलगाव के खिलाफ रहा है। कश्मीर हमारा है, हमारा ही रहेगा। मगर हमें कश्मीर के लोगों और कश्मीरियत को भी अपनाना होगा। यह बातें जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने रविवार को कही। वे जमीअत के शताब्दी वर्ष पर बनारस में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
मीडिया ट्रायल से आतंकी नहीं माना जा सकता
मौलाना ने कहा कि महज मीडिया ट्रायल या पुलिस के कह देने भर से किसी को आतंकी नही माना जा सकता, जब तक कि उसे न्यायालय से सजा न मिल जाये। जमीअत ने पहले भी ऐसे युवाओं के केस लड़े हैं, और उन्हें बाइज्जत रिहा कराया है। देवबंद से गिरफ्तार दोनों युवाओं का मामला भी जमीअत देखेगी। पुलवामा हमले की निंदा करते हुए देशभर में फैलाए जा रहे कश्मीर के छात्रों खिलाफ घृणा पर चिंता भी जाहिर किया। कहा, मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे महसूस किया और इस मुद्दे पर बात की। उलमा-ए-कराम के साथ ही राजनेताओं को समाज में अमनो-आमान कायम करने की दिशा में सोचना चाहिए।
कब तक देते रहेंगे राष्ट्रभक्ति का सबूत
मदनी ने कहा कि मुसलमान कहीं बाहर से नहीं आए। हमारे पुरखों ने भी मुल्क को संवारा है। उनके पास मौके भी थे। बावजूद इसके उन्होंने धर्म की बुनियाद पर बन रहे पाकिस्तान के विचार को खारिज किया। 70 साल हो गए, हम तीसरी पीढ़ी हैं। तब से लेकर अब तक मुसलमान वतनपरस्ती पर सफाई देता फिर रहा है। बोले, पुलवामा जैसे कायराना हमले को भी मुसलमानों से जोड़कर उन्माद फैलाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे दौर में हमें साफ जेहन की जरूरत है।