मल्हनी सीट पर तीसरी बार होने जा रहा उपचुनाव, दो बार निधन से हो चुकी है सीट खाली
भले ही पहली बार उपचुनाव हो रहा है लेकिन इसके पूर्व भी यहां दो बार उपचुनाव हो चुका है। पहली बार जनता पार्टी के विधायक रहे राजबहादुर यादव के निधन के बाद तो दूसरी बार विधायक रहे धनंजय सिंह के लोकसभा पहुंचने पर खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ था।
जौनपुर, जेएनएन। मल्हनी विधानसभा सीट बनने के बाद भले ही पहली बार उपचुनाव हो रहा है, लेकिन इसके पूर्व भी यहां दो बार उपचुनाव हो चुका है। पहली बार जनता पार्टी के विधायक रहे राजबहादुर यादव के निधन के बाद तो दूसरी बार विधायक रहे धनंजय सिंह के लोकसभा पहुंचने पर खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ था। अब सपा के विधायक पारसनाथ यादव के निधन के बाद चुनाव होने जा रहा है। रिक्त हुई सीटों पर पार्टियों ने पिता-पुत्र पर दांव लगाया।
चुनाव आयोग की तरफ से विधानसभा उपचुनाव के लिए तिथि जारी कर दी गई। इसके बाद से चुनावी हलचल भी तेज हो गई है। इस सीट पर अब तक 19 बार चुनाव हो चुके हैं। विधानसभा क्षेत्र की जनता 20 वीं बार अपना विधायक चुनेगी। यहां पर तीसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है। पूर्व में रारी के नाम पर रही इस सीट पर जनता पार्टी के विधायक राज बहादुर यादव का 1978 में निधन होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ। उस समय कांग्रेस पार्टी ने जहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व दिग्गज नेता सूर्यनाथ उपाध्याय को चुनाव मैदान में उतारा था। इनके सामने जनता पार्टी ने राज बहादुर यादव के पुत्र अर्जुन यादव को प्रत्याशी बनाया था। इसमें 31 हजार 473 वोट पाकर कांग्रेस के सूर्यनाथ उपाध्याय विजयी हुए तो जनता पार्टी के अर्जुन यादव 29 हजार 622 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद 2009 में यहां के विधायक धनंजय सिंह के बसपा से सांसद चुने जाने पर रारी की सीट खाली हुई थी।
यहां पर हुए चुनाव में धनंजय सिंह ने अपने पिता बसपा के प्रत्याशी के तौर पर राजदेव सिंह को चुनाव मैदान में उतारा तो सपा से बाबा दुबे चुनाव लड़े। इस चुनाव में बसपा के राजदेव यादव करीब 77 हजार मत पाकर विजयी हुए तो इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के बाबा दुबे रहे। इन उपचुनाव में यह भी देखने वाली बात होगी कि उपचुनाव हमेशा सरकार के पक्ष में ही परिणाम आता रहा है। फिलहाल सपा से पारसनाथ के पुत्र अपने को दावेदार मानकर चुनाव मैदान में लगे हुए हैं।