Make Small Strong : लाकडाउन ने सराफा कारोबार को कराया तकनीक के महत्ता का अहसास
वाराणसी में वैश्विक महामारी कोरोना ने सभी को जहां मुसीबत में डाल दिया। वहीं लोगों को कई संदेश भी दिया। इस महामारी से बचाव के लिए लगे लाकडाउन में तमाम लोग हाथ पर हाथ रखकर बैठे नहीं रहे बल्कि इस कोरोना काल को अवसर के रूप में उपयोग किया।
वाराणसी, जेएनएन। वैश्विक स्तर की महामारी कोरोना ने सभी को जहां मुसीबत में डाल दिया है वहीं लोगों को कई संदेश भी दिया। इस महामारी से बचाव के लिए लगे लाकडाउन में तमाम लोग हाथ पर हाथ रखकर बैठे नहीं रहे, बल्कि इस कोरोना काल को अवसर के रूप में उपयोग किया। इस दौरान शहर के दुर्गाकुंड स्थित प्रतिष्ठान नरायन सर्राफ एंड संस के निदेशक अमित अग्रवाल एवं उनके अन्य भाइयों व स्टाफ ने तकनीक का भरपूर उपयोग किया। उन्होंने लाकडाउन में ही वेबसाइट के माध्यम से कारोबार को आगे बढ़ाया। आनलाइन ज्वेलरी व सोने के सिक्के की बिक्री शुरू कर दी। पहले तो उनको उम्मीद ही नहीं थी कि यह सफल होगा, लेकिन यह प्रयोग आनलाइन कारोबार को एक बेहतर प्लेटफार्म दे दिया। इसके बाद तो उनका प्रतिष्ठान इस प्लेटफार्म को और मजबूत करने में जुटा गया। इस असर यह रहा कि उनके कारोबार की गाड़ी आनलाइन पटरी पर रफ्तार पकड़ ली।
अमित बताते हैं कि उनके पिता नरायन दास अग्रवाल ने यह कारोबार पहले घर से ही 1958 में शुरू की। दुर्गाकुंड स्थित प्रतिष्ठान के साथ ही चौक भी ब्रांच है। अमित छह भाई हैं। तीन तो ज्वेलरी कारोबार से जुड़े हैं। सबसे बड़े भाई डाक्टर हैं। एक का चांदी का कारोबार है तो एक अन्य भाई अमेरिका में रहते हैं।
तकनीक नहीं अपनाते तो हाथ-पैर ही बंध जाता
अमित बताते हैं कि तकनीक का महत्व तो इस कोरोना काल में ही समझ में आया। अगर वाट्सएप या अन्य तकनीक नहीं होती तो हमारे तो हाथ-पैर ही बंध जाते। वेबसाइट व अन्य माध्यमों से प्रोडक्ट खूब देखा गया। एक कंपनी के माध्यम से एप तैयार किया गया। प्रयोग के तौर पर अक्षय तृतिया पर सोने के सिक्के बेचने की पेशकश की गई। इसके परिणाम तो आश्चर्यजनक थे। इस पर देश कोने-कोने आर्डर आए।
सस्ती ज्वेलरी की संभावनाएं अपार
अमित बताते हैं कि आने वाले समय में सस्ती ज्वेलरी में भी अपार संभावनाएं हैं, जिसे आनलाइन बिक्री आसान हो सके। इसके लिए तैयार रहना होगा। बताया कि उनके प्रतिष्ठान की ओर से भी इसकी तैयारी की जा रही थी।
लांच होगा आधुनिक एप
दीपावली के बाद इसके लिए एक एप लांच करने की गई तैयारी है। यह एप ऐसा होगा जिससे ऐसा लगेगा कि ग्राहक ज्वेलरी पहनकर ट्रायल कर रहा हो। इससे उन ग्राहकों को भी राहत मिलेगी जो दूर-दराज रहते हैं। हालांकि महंगी ज्वेलरी खरीदने के लिए ग्राहक प्रतिष्ठान में ही आना पसंद करते हैं। वैसे भी आभूषण महिलाओं के लिए संकट की घड़ी में एक वैकल्पिक बजट है।
फेसबुक पेज से जुड़े हैं 5500 लोग
अमित ने बताया कि उनके प्रतिष्ठान के नाम से बने फेसबुक पेज से करीब 5500 से लोग जुड़े हैं। इस पर लोग ज्वेलरी खूब पसंद कर आर्डर दे रहे हैं। इसके बाद होम डिलीवरी की भी व्यवस्था शुरू की गई। इसका चार्ज ग्राहकों से नहीं लिया जाता है। इसके लिए प्रतिष्ठान की ओर से एक कंपनी हायर की गई है, जो आर्डर की हुई ज्वेलरी ग्राहकों के यहां सुरक्षित पहुंचाती है। तकनीक के सहारे से ही हम लोगों ने कारोबार को बरकरार रखा।
लंदन में बैठक युवती ने पसंद किया आभूषण
अमित ने बताया कि एक दंपति उनके यहां आई। जून में अभी लाकडाउन खुला ही था और उस समय लगन भी थी। उनकी लड़की की शादी तय थी, जिसके लिए आभूषण पंसद करना था। उनकी लड़की उस समय लंदन में थी। इसके बाद उसकी मां व अन्य बच्चों ने ज्वेलरी पहन कर यहां से वीडियो कालिंग के माध्यम से दिखाया। उनकी लड़की ने उसी दौरान ज्वेलरी पंसद कर दी। ऐसे में अगर तकनीक इतनी आगे नहीं बढ़ी होती और हम उसका उपयोग नहीं करते तो यह संभव नहीं था।
आनलाइन पेमेंट का बढ़ा प्रचलन
अमित के अनुसार आज से करीब 10 साल पहले 10 में से नौ लोग नकद ही भुगतान करते थे। आज युवा इतने आधुनिक हो गए हैं कि शत-प्रतिशत आनलाइन ही पेमेंट क रहे हैं। पेटीएम, गूगल पे व अन्य माध्यमों से भुगतान का प्रचलन बढ़ा गया है। इससे दोनों को ही सहूलियत है। वरना बड़ी रकम लेकर बाजार में निकालना भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने बताया कि डिजिटल पेमेंट का बढ़ावा देने के लिए आनलाइन पेमेंट पर कैश बैक भी दिया जाता है।
सभी को अपनाना होगा तकनीक
अमित ने बताया कि आने वाले समय में सभी को तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा। अन्यथा की स्थिति में वे पीछे रह जाएंगे। खासकर छोटे व मझोले व्यापारियों को भी चाहिए कि वे डिजिटल प्लेटफार्म पर अपने कारोबार को बढ़ाएं।