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पूर्वांचल में प्रमुख नदियां कर रहीं कटाव, तटवर्ती इलाकों में बढ़ा संचारी रोग का खतरा

पूर्वांचल में नदियों के रुख से तटवर्ती इलाकों में दुश्वारी बढ़ रही है। पानी भले ही कम हो रहा हो लेकिन नदियों का कम होता रुख कटान भी कर रहा है। निचले इलाकों में फंसा बाढ का पानी अब सडने लगा है और संचारी रोगों को बढावा देने लगा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 05:30 PM (IST)
पूर्वांचल में प्रमुख नदियां कर रहीं कटाव, तटवर्ती इलाकों में बढ़ा संचारी रोग का खतरा
निचले इलाकों में फंसा बाढ का पानी अब सडने लगा है और संचारी रोगों को बढावा देने लगा है।

वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल में नदियों के रुख से तटवर्ती इलाकों में दुश्वारी बढ़ रही है। पानी भले ही कम हो रहा हो लेकिन नदियों का कम होता रुख कटान भी कर रहा है। जबकि निचले इलाकों में फंसा बाढ का पानी अब सडने लगा है और संचारी रोगों को बढावा देने लगा है। वहीं ठहरा पानी मच्छरों के पनपने का बेहतर मौका भी साबित हो रहा है। वहीं तटवर्ती इलाकों में नदियों का जलस्‍तर कटाव कर रहा है जिसकी वजह से किसानाें की कीमती जमीनें नदी में विलीन हो रही हैं।

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सोमवार की दोपहर केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार मीरजापुर में जहां गंगा नदी में घटाव का रुख है वहीं वाराणसी, गाजीपुर और बलिया जिले में नदी का जलस्‍तर स्थिर है। जौनपुर में गोमती नदी का जलस्‍तर बढाव की ओर है तो सोनभद्र में सोन नदी और बाण सागर बांध का जलस्‍तर घटाव की ओर तो रिहंद बांध का जलस्‍तर बढाव की ओर है। जबकि बलिया के तुर्तीपार में सरयू नदी का का जलस्‍तर 63.54 मीटर पर चेतावनी बिंदु के ऊपर घटाव की ओर है।

संक्रामक रोगों ने उठाया सिर

पूर्वांचल में नदियों के तल्‍ख रुख के बाद अब ठहरा हुआ पानी सड़ने के साथ ही मच्‍छरों का पनाहगाह साबित हो रहा है। जिसकी वजह से नदियाें के किनारे संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है।


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