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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में राष्ट्रपिता & राष्ट्ररत्न का बनेगा भव्य स्मारक, आकर्षक स्वरूप देने में जुटे कारीगर

शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में काशी विद्यापीठ ने महात्मा गांधी व राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त के प्रतिमा स्थल को भव्य स्मारक रूप विकसित करने का निर्णय लिया गया है। प्रतिमा के ऊपर की छतरी बदलने की योजना है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 07:17 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:34 PM (IST)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में राष्ट्रपिता & राष्ट्ररत्न का बनेगा भव्य स्मारक, आकर्षक स्वरूप देने में जुटे कारीगर
काशी विद्यापीठ में स्मारक को मूर्त रूप देने के लिए चुनार के पत्थरों को तराशने का काम जारी है।

वाराणसी, जेएनएन। शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त के प्रतिमा स्थल को भव्य स्मारक रूप विकसित करने का निर्णय लिया है। स्मारक को मूर्त रूप देने के लिए चुनार के पत्थरों को तराशने का काम भी जारी है। राष्ट्रपिता व राष्ट्ररत्न दोनों महापुरुषों की प्रतिमाओं को करीब पांच फीट पीछे करने के लिए प्लेटफार्म भी बनकर लगभग तैयार हो चुका है।

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प्रतिमा के ऊपर की छतरी भी बदलने की योजना है। इसके स्थान पर पत्थर की आकर्षक छतरी बनवाने की योजना है। हालांकि प्लेटफार्म पर पत्थर लगाने का कार्य अभी जारी है। प्रतिमा परिसर को छोटे पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें लगे फव्वारा को भी आकर्षक बनाने की योजना है। महात्मा गांधी की प्रेरणा से राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फरवरी 1921 को की थी। वहीं इसकी आधारशिला बापू ने स्वयं अपने हाथों से रखीं थी। यही नहीं बनारस आने के दौरान महात्मा गांधी मानविकी संकाय के कक्ष में सात बार ठहरे थे, जिस कक्ष में वह रूके थे उसे बापू स्मृति दीर्घा के रूप में विकसित किया गया है। वहीं गेट नंबर एक से मानविकी संकाय में प्रवेश करते ही तत्कालीन कुलपति प्रो. डीएन चतुर्वेदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त की प्रतिमा लगवाई थी। इसका अनावरण 31 मार्च 1985 को पं. कमलापति त्रिपाठी ने किया था। स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने इसे स्मारक के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। करीब 15 लाख रुपये की लागत से इस परिसर को छोटा पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। नक्काशीदार पत्थर से इसकी बाउंड्री बनाने का भी क्रम जारी है। स्मारक का निर्माण दो माह के में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


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