महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ : तीन संविदा शिक्षकों का नवीनीकरण और अन्य पर चुप्पी
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने तीन संविदा शिक्षकों का नवीनीकरण पांच वर्ष के लिए कर दिया है। वहीं 75 संविदा शिक्षकों के नवीनीकरण को लेकर चुप्पी साधे हुए है। लिहाजा संविदा शिक्षक परिसर स्थित पंत प्रशासनिक भवन के सामने बेमियादी सत्याग्रह पर अब भी बैठे हुए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने तीन संविदा शिक्षकों का नवीनीकरण पांच वर्ष के लिए कर दिया है। वहीं 75 संविदा शिक्षकों के नवीनीकरण को लेकर चुप्पी साधे हुए है। लिहाजा संविदा शिक्षक परिसर स्थित पंत प्रशासनिक भवन के सामने बेमियादी सत्याग्रह पर अब भी बैठे हुए हैं। संविदा शिक्षकों का सत्याग्रह 16वें दिन मंगलवार को भी जारी रहा।
कुलसचिव डा. एसएल मौर्य की ओर से जारी आदेश में रिव्यू के आधार पर स्ववित्तपोषित बीएड पाठ्यक्रम में डा. ध्यानेंद्र कुमार मिश्र, डा. राखी देव, डा. मनोज कुमार त्यागी को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष अथवा संविदा पर 30 जून 2025 तक या अगले आदेश तक के लिए जो भी पहले हो संविदा पर दोबारा नियुक्त किया गया है। वहीं कार्यपरिषद प्रतिवर्ष संविदा शिक्षकों की समीक्षा करेगी। मुख्य परिसर के अलावा गंगापुर व एनटीपीसी, सोनभद्र परिसर संविदा पर 78 शिक्षक तैनात थे। उनकी संविदा 30 जून समाप्त हो गई थी। विद्यापीठ प्रशासन ने नवीनीकरण अब तक नहीं किया था। तीन शिक्षकों के नवीनीकरण होने से अन्य संविदा शिक्षकों को भी आस जगी है। हालांकि संविदा शिक्षकों का दावा है कि विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने 13 मार्च को जारी शासनादेश के अनुपालन में मानक के अनुरूप वेतन भुगतान करने को हरी झंडी दे दी थी है। शासनादेश में संविदा शिक्षकों के विस्तार का भी स्पष्ट उल्लेख है। इसके तहत संविदा शिक्षकों ने ई-कंटेंट भी तैयार किया था। बावजूद वेतन अब तक नहीं दिया गया। बहरहाल संविदा शिक्षकों के नवीनीकरण की गाइडलाइन को लेेकर विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं भ्रम में हैं। सवाल उठता है कि तीन शिक्षकों का नवीनीकरण जिस आधार पर हुआ। इसी आधार पर अन्य संविदा शिक्षकों के सेवा विस्तारीकरण का आदेश क्यों नहीं जारी किया गया। वहीं कुछ शिक्षकों का मानना है कि राज्यस्तरीय बीएड की काउंसिलिंग 19 नवंबर से शुरू होने वाली है। ऐसे में मानक के अनुरूप शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई तो बीएड की मान्यता को लेकर संकट गहरा सकता है। सत्याग्रह पर बैठे शिक्षकों में मुख्य रूप से डा. आलोक शुक्ला, डा. एसपीएन ङ्क्षसह, डा. शशिकांत, डा. निर्मला, प्रशांत विश्वकर्मा, डा. अविनाश ङ्क्षसह, डा. शशिप्रकाश, डा. प्रभा शंकर मिश्र, डा. मनोहर लाल, डा. शत्रुघ्न, डा. राजेश कुमार व अन्य शामिल रहो।