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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ : अब स्नातक में लागू होगा सेमेस्टर प्रणाली, नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम को मिली स्वीकृति

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में भी सेमेस्टर प्रणाली करने का निर्णय लिया है। यही नहीं इस बार चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश होगा। वाराणसी सहित चंदौली भदोही मीरजापुर व सोनभद्र जनपद के संबद्ध कालेजों में भी प्रभावी होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 09:46 PM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 09:46 PM (IST)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ : अब स्नातक में लागू होगा सेमेस्टर प्रणाली, नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम को मिली स्वीकृति
काशी विद्यापीठ प्रशासन ने नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में भी सेमेस्टर प्रणाली करने का निर्णय लिया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में भी सेमेस्टर प्रणाली करने का निर्णय लिया है। यही नहीं इस बार चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश होगा। कुलपति की अध्यक्षता गुरुवार को हुई हेड-डीन की बैठक में नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्नातक के पाठ्यक्रम को वर्तमान सत्र से ही लागू करने मंजूरी मिल गई। यही नहीं वाराणसी सहित चंदौली, भदोही, मीरजापुर व सोनभद्र जनपद के संबद्ध कालेजों में भी प्रभावी होगा।

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अब चार वर्षीय होगा स्नातक का कोर्स

स्नातक का कोर्स अब चार वर्षीय होगा। हालांकि विद्यार्थियों को चार वर्ष पढऩे के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

इलेक्टिव विषय भी होगा पढऩा

अब स्नातक के छात्रों अपने संकाय से दो विषय का चयन करना होगा। वहीं एक विषय विद्यार्थी दूसरे संकाय से चयन कर सकता है। इसके अलावा इलेक्टिव विषय भी छात्रों को पढऩा अनिवार्य होगा।

छात्रावास में मेस संचालन शुरू करने को लेकर नहीं बनी सहमति

छात्रावासों में मेस के संचालन को लेकर अब तक कोई सहमति नहीं बनी। जबकि मेस संचालन की मांग को लेकर 18 अगस्त को देररात कुलपति आवास पर हंगामा किया था। छात्रों का कहना है कि मेस के नाम पर 45 दिन का शुल्क लिया गया और 30 दिनों में ही मेस का संचालन बंद कर दिया गया। जबकि वर्तमान में स्नातक व स्नातकोत्तर की परीक्षाएं भी चल रही है। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस संबंध में वित्त विभाग से जांच कराई जा रही है।

अब संविदा पर होगी प्राच्य विद्या की पढ़ाई : सूबे के माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। इसे देखते हुए शासन ने सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है ताकि नियमित नियुक्ति होने तक पाठन-पाठन प्रभावित न हो सके। ऐसे में अब संविदा के भरोसे प्राच्य विद्या की पढ़ाई होगी। इस संबंध में जनपद के संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की बैठक गुरुवार को राजकीय क्वींस इंटर कालेज में बुलाई गई है। अध्यक्षता करते हुए संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी)ने प्रदीप कुमार ने जनपद के सभी 49 विद्यालयों से दो दिनों के भीतर अध्यापकों के रिक्त पदों का विवरण मांगा है ताकि मानदेय पर नियुक्त होने वाले शिक्षकों के लिए विज्ञापन जारी किया जा सके। जिला विद्यालय निरीक्षक डा. विनोद कुमार राय ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों में स्थायी अध्यापकों की नियुक्ति की भी प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। अध्यापकों की स्थायी नियुक्ति में देरी लगने की संभावना है। ऐसे में फिलहाल मानदेय पर अध्यापकों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है। बैठक में पंचम मंडल की उप निदेशक (संस्कृत पाठशाला) मंजू शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे। संचालन हिमांशु तिवारी व धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य डा. गंगाधर राय ने किया।15000 रुपये तक मिलेगा मानदेय संविदा पर नियुक्त होने वाले पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल)के अध्यापकों को 12000 रुपये तथा उत्तर मध्यमा (इंटर)पढ़ाने वाले अध्यापकों को प्रतिमाह 15000 रुपये मानदेय दिया जाएगा।


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