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Mahatma Gandhi Birth Anniversary : रामधुन सुनाएगी बापू की स्मृति दीर्घा, काशी विद्यापीठ में स्मृतियां संरक्षित

बापू की स्मृतियां आज भी काशी में विभिन्न स्थानों पर संग्रहित हैं। काशी में शिक्षा के लिए बापू का प्रयास आज भी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के रूप में ज्ञान का उजाला फैला रहा है। वहीं मानविकी भवन के जिस कक्ष में महात्मा गांधी ठहरे थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 01:51 PM (IST)
Mahatma Gandhi Birth Anniversary : रामधुन सुनाएगी बापू की स्मृति दीर्घा, काशी विद्यापीठ में स्मृतियां संरक्षित
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित गांधी स्मृति कक्ष में लगाया जा रहा चरखा।

वाराणसी, जेएनएन। बापू की स्मृतियां आज भी काशी में विभिन्न स्थानों पर संग्रहित हैं। काशी में शिक्षा के लिए बापू का प्रयास आज भी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के रूप में ज्ञान का उजाला फैला रहा है। वहीं मानविकी भवन के जिस कक्ष में महात्मा गांधी ठहरे थे, उसमें बापू का चरखा आज भी सुरक्षित रखा हुआ है। विद्यापीठ ने इस कक्ष को बापू स्मृति दीर्घा के रूप में विकसित किया है। इसमें उनकी स्मृतियां सहेजी गई हैं। शताब्दी वर्ष में विद्यापीठ बापू स्मृति दीर्घा को नया लुक देने के प्रयास में जुटा है।

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महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के समापन पर काशी विद्यापीठ प्रशासन ने मानविकी संकाय स्थित बापू स्मृति दीर्घा आमजनों के लिए खोल दिया है। अब कोई बाहरी व्यक्ति भी बापू स्मृति दीर्घा को देख सकता है, वह भी बिल्कुल मुफ्त। गांधी ने क्या-क्या प्रयास किए, किस-किसको पत्र लिखा, किसने दीक्षांत भाषण दिया, उससे जुड़े अभिलेखों के साथ ही कई दुर्लभ तस्वीरें भी यहां देखने को मिल जाएंगी। बापू स्मृति दीर्घा को नया लुक देने की कुलपति प्रो. टीएन ङ्क्षसह ने पहल की। इस क्रम में महात्मा गांधी से जुड़े दुर्लभ चित्रों व पत्रों को लेमिनेशन कराकर नए फ्रेम में लगाया गया है ताकि दुर्लभ चित्र व पत्र खराब न हों। शीशम की लकड़ी का नया चरखा भी बनवाया गया। दक्ष कलाकारों से महात्मा गांधी की बाल्यावस्था से लगायत अंत समय तक की 17 पेंटिंग बनवाई गई हैं। इसके अलावा रामधुन के लिए स्पीकर सहित अन्य उपकरण भी क्रय किए जा चुके हैं ताकि कक्ष में प्रवेश करते ही आगंतुकों के कान में रामधुन घुल जाए। वहीं अब विशेष अवसरों के स्थान पर समय-समय पर गीता पाठ, सर्वधर्म प्रार्थना व भजन-कीर्तन का आयोजन करने का निर्णय लिया गया है।

काशी विद्यापीठ की स्थापना गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर बाबू शिव प्रसाद गुप्ता और भगवान दास ने की थी। वहीं इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 में महात्मा गांधी ने रखी थी। इसे देखते हुए वर्ष 1995 में विद्यापीठ ने नाम के आगे उनका भी नाम जोड़ा गया। ब्रिटिश भारत में यह पहला स्वदेशी विश्वविद्यालय था। बाद के दिनों में कुछ और प्रदेशों में भी शिक्षा की अलख जगाने के लिए इस तरह के विद्यापीठ स्थापित हुए।

इस कक्ष में सात बार ठहरे थे बापू

महात्मा गांधी का काशी आगमन करीब 13 बार हुआ था। इसमें से सात बार वह काशी विद्यापीठ परिसर में ही ठहरे। मानविकी भवन के जिस कक्ष में महात्मा गांधी रुके थे उस कक्ष में काशी विद्यापीठ ने बापू स्मृति दीर्घा के नाम पर विकसित किया है।

बापू के कक्ष में हैं ये दुर्लभ तस्वीरें

-भारत माता मंदिर को बनाने वाले कारीगरों के साथ बापू की बातचीत

-डा. संपूर्णानंद द्वारा महात्मा गांधी को लिखा गया पत्र।

-आचार्य नरेंद्र देव छात्रावास के उद्घाटन पर डा. संपूर्णानंद, पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद, आचार्य बीरबल सिंह।

-भारत माता मंदिर के उद्घाटन की 25 अक्टूबर 1936 की तस्वीरें।

-बापू का विश्राम स्थल, चरखा।


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