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महाराज दशरथ और श्रवण कुमार से जुड़ा है गाजीपुर का महाहर धाम, भक्तों में बसती है अटूट आस्था

गाजीपुर के मरदह ब्लाक की सलेमापुर देवकली ग्राम पंचायत में स्थित महाहर धाम ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व के कारण लोगों की आस्था का केंद्र है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 03:13 PM (IST)
महाराज दशरथ और श्रवण कुमार से जुड़ा है गाजीपुर का महाहर धाम, भक्तों में बसती है अटूट आस्था
महाराज दशरथ और श्रवण कुमार से जुड़ा है गाजीपुर का महाहर धाम, भक्तों में बसती है अटूट आस्था

गाजीपुर [सर्वेश मिश्र]। गाजीपुर के मरदह ब्लाक की सलेमापुर देवकली ग्राम पंचायत में स्थित महाहर धाम ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व के कारण लोगों की आस्था का केंद्र है। महाराजा दशरथ एवं माता-पिता भक्त श्रवण कुमार से जुड़ा होने सेा इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व है। दूर-दराज से लोग इस स्थल को देखते आते हैं। धाम परिसर में प्राचीन शिव मंदिर के प्रति अटूट आस्था एवं विश्वास के कारण वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

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महाहर धाम में महाशिवरात्रि एवं सावन सोमवार पर दूर-दूर से आए हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि मंदिर में दर्शन-पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर प्रति वर्ष यहां विशाल मेले का आयोजन होता है जो एक सप्ताह तक चलता है। महाहर धाम परिसर में हर जाति के लोगों ने चंदा एकत्र कर अलग-अलग देवी देवताओं के मंदिर बनाए हैं। एक ही परिसर में स्थापित सभी मंदिर हिंदू धर्म की जातिगत व्यवस्था में निहित समरसता का संदेश देते हैं। मंदिरों में वर्षभर विविध आयोजन होते रहते हैं।

श्रवण कुमार के नाम पर बसा है गांव

मरदह ब्लॉक के महाहर धाम से कुछ दूरी पर स्थित सरडीह ग्राम पंचायत के बारे में कहा जाता यह गांव श्रवण कुमार के नाम पर बसा है। अयोध्या के महाराजा दशरथ शिकार खेलने के क्रम में में महाहर धाम के पास जंगल में पहुंचे थे। उसी समय श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को कांवर पर बैठाकर तीर्थयात्रा कराने हेतु उसी जंगल से गुजर रहे थे। अंधे माता-पिता को प्यास लगने पर वह वह उन्हें जंगल में एक स्थान पर बैठाकर पानी की तलाश में चले गए। वह सरोवर में पानी ले रहे थे तभी महाराजा दशरथ का शब्द भेदी बाण उन्हें लगा था। महाहर धाम परिसर में स्थित पोखरे के बारे में मान्यता है कि यह वही पोखरा है जहां  श्रवण कुमार जल लेने गए थे।

335 बीघे में ताल विशाल ताल

महाहर धाम के बगल में लगभग 335 बीघे में ताल है जिसको पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाएं हैं। महाहर धाम के बगल में स्थित ताल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने हेतु सरकार द्वारा सुंदरीकरण कार्य कराकर पार्क आदि बनवाया गया है। वन विभाग द्वारा भी सुंदरीकरण कार्य कराए गए हैं।

शिव मंदिर की स्थापना की कहानी

महाहर धाम में शिव मंदिर स्थापना को लेकर कई किदवंतियां हैं। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण व जीर्णोद्धार नि:सन्तान व्यक्ति ने पुत्र प्राप्ति पर किया था। समय -समय पर महाहर धाम स्थित प्राचीन शिव मंदिर व महाहर धाम परिसर के सुंदरीकरण हेतु सरकार द्वारा काफी कार्य कराया गया है। इसमें महाहर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष रहे भोलानाथ सिंह का भी योगदान है।

विभिन्न समाज से जुड़े मंदिर भी

प्राचीन शिव मंदिर के अलावा परिसर में विभिन्न समाज के लोगों द्वारा दुर्गा मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, विष्णु मंदिर, हनुमान मंदिर, संत रविदास मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, शंकर मंदिर, हनुमान मंदिर, भैरव बाबा मंदिर और विष्णु मंदिर बनवाए गए हैं। रखरखाव-रंगाई-पोताई का कार्य उसी समाज के लोग करते हैं।


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