वाराणसी में फेफड़े के रोगियों की संख्या बढ़ी
वाराणसी में गर्मी के इस मौसम में धूल उड़ने से फेफडे़ के रोगियों की संख्या बढ़ गई है।
वाराणसी : गर्मी के इस मौसम में जिस तरह से धूल उड़ रही है उससे फेफडे़ के रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। लोग श्वांस की समस्या से पीड़ित होने लगे हैं। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के वैद्य अजय कुमार गुप्ता ने बुधवार को बताया कि इस मौसम में धूल के साथ कई बारीक कण सांस के जरिए फेफडे़ में चले जाते हैं। कण इतने पतले होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देख सकते। नगर में जिस तरह से खुदाई और निर्माण कार्य चल रहा है उससे काफी धूल उड़ रही है। बताया कि बुधवार को उनकी ओपीडी में 100 के लगभग मरीज आए थे। इनमें आधे से अधिक मरीज श्वांस की समस्या से पीड़ित थे। वहीं नकसीर फूटने के मरीज भी अब आने लगे हैं। नकसीर का सटीक इलाज
आम के मौसम में टिकोरे (छोटे कच्चे काम) के अधिक खाने से नाक से खून निकलने लगता है। इसे आम भाषा में नकसीर फूटना कहते है। आयुर्वेद में इसका सटीक इलाज है और यह कुछ समय में ठीक हो जाता है। वायु प्रदूषण से रोगियों को परेशानी
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के मुख्य द्वार से सटा बस स्टैंड है। दिन-भर बसों के शोर और उनसे निकलने वाले धुएं से चिकित्सालय में भर्ती मरीजों को बहुत कष्ट होता है। महाविद्यालय प्रशासन के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान इस ओर कई बार आकृष्ट कराया, लेकिन आज तक समस्या का निदान नहीं हुआ। -------------
चिकित्सालय में किसी औषधि की कमी नहीं है। औषधियां निश्शुल्क दी जा रही हैं। एक्सरे बहुत कम समय में रोगियों को मिल जाता है। रोगियों की सुविधा के लिए पंचकर्म की सभी विधाएं यहां उपलब्ध हैं।
- प्रो. एसएन सिंह, प्राचार्य