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देववाणी संस्‍कृत को समृद्ध करने के लिए विदेशी मूल की लूसी ने काशी में संभाली कमान

काशी पुराणाें से भी प्राचीन है और काशी में देववाणी संस्‍कृत के प्रचार प्रसार के लिए विदेशी लोग भी अब सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में वाराणसी में विदेशी मूल की संस्‍कृत भाषा की ज्ञाता और विशेषज्ञ लूसी की कक्षाएं वाराणसी में शनिवार से शुरू हो रही हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 12:58 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 01:40 PM (IST)
देववाणी संस्‍कृत को समृद्ध करने के लिए विदेशी मूल की लूसी ने काशी में संभाली कमान
विदेशी मूल की संस्‍कृत भाषा की ज्ञाता और विशेषज्ञ लूसी की कक्षाएं वाराणसी में शनिवार से शुरू हो रही हैं।

वाराणसी, जेएनएन। पुराणाें से भी प्राचीन मानी जाने वाली काशी में देववाणी संस्‍कृत के प्रचार प्रसार के लिए विदेशी लोग भी अब सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में वाराणसी में विदेशी मूल की संस्‍कृत भाषा की ज्ञाता और विशेषज्ञ लूसी की कक्षाएं वाराणसी में शनिवार से शुरू हो रही हैं। प्राथमिक संस्‍कृत की इस पाठशाला में कई जाने माने लोगों ने भी अपनी रुचि दिखायी है। इस अनोखी कक्षा में शिक्षक जहां विदेश्‍ाी मूल की हैं तो वहीं भाषा भी देववाणी संस्‍कृत है।

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सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहने वाली संस्‍कृत भाषा की विद्वान लूसी ने जानकारी दी कि वह शाखा की ओर से वैदिक गुरुकुलम के जरिए http://Chandramauli.org वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन तरीके से वैदिक भाषा संस्‍कृत सिखाने जा रही हैं। इस कक्षा के लिए कोई भी संस्‍कृत सीखने का इच्‍छुक ऑनलाइन आवेदन करके कक्षा में शामिल हो सकता है। वह बताती हैं कि देववाणी संस्‍कृत को सीखने के लिए काफी लोग इच्‍छुक हैं। इसके लिए कई जानी मानी हस्तियाें ने भी संस्‍कृत सीखने की इच्‍छा जतायी है।

सबके लिए फ्री है शिक्षा

संस्‍कृत भाषा की विद्वान दिव्‍य प्रभा (लूसी) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार संस्‍कृत भाषा की प्राथमिक शिक्षा की ऑनलाइन कक्षाएं 24 अक्‍टूबर से प्रति शनिवार को जूम एप के जरिए शाम पांच बजे से चलेंगी। इसके लिए देवनागरी लिपि के शब्‍दाें का ही प्रयोग अनिवार्य है। कोर्स की समाप्‍ित होने पर संस्‍कृत व्‍याकरण में पांच टेंस, आठ विभक्ति, तुमुन-तव्‍य-शत्र-क्‍ता के साथ ही दीर्घ और गुण संधि के बारे में पूरी तरह जानकारी हो जाएगी।

सभी के लिए फ्री में उपलब्‍ध संस्‍कृत भाषा का प्रारंभिक स्‍टेज का यह कोर्स है। इस दौरान जो संस्‍कृत से अवगत नहीं हैं उनके लिए यह सीखने और दोहराव का बेहतर माैका भी है। 

करें लॉग इन : https://www.bsoyoga.org/courses/sanskrit-shiksha-1-oct-20/ इस लिंक पर जाकर कोई भी व्‍यक्ति फ्री में कक्षाओं से जुड़ने के लिए लॉग इन कर सकता है। इसके बाद संबंधित कोर्स की भी जानकारी दी जाती है।


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