पूर्व में तय मॉडल पर ही अयोध्या में बने प्रभु श्रीराम का मंदिर, बोले स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि पूर्व में विश्व हिंदू परिषद द्वारा तैयार श्रीराम मंदिर का मॉडल देश भर में लोगों के बीच गया।
वाराणसी, जेएनएन। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि पूर्व में विश्व हिंदू परिषद द्वारा तैयार श्रीराम मंदिर का मॉडल देश भर में लोगों के बीच गया। लोगों ने विश्वास कर सवा-सवा रुपये की मदद की। इससे प्राप्त सवा आठ करोड़ रुपये के सहयोग से श्रीराम मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है। मॉडल भारतीय परंपरा व शिल्प का प्रतीक है। इस कारण उसी मॉडल पर अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
प्रयागराज से गुरुवार दोपहर बनारस आए स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती गंगा महासभा के महमूरगंज स्थित दफ्तर में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि हम चाहेंगे कि भगवान का मंदिर अतिशीघ्र बन जाए, आगे प्रभु श्रीराम जी जानें। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठन को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने ट्रस्ट बनाया है। उसके अनुरूप ही कार्य भी हो रहा है। रामालय ट्रस्ट नाम की कोई चीज नहीं है। वह पूरी तरह व्यक्तिगत ट्रस्ट है।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व मंत्री उमा भारती द्वारा ट्रस्ट में पिछड़ी जाति को शामिल करने के प्रश्न पर बोले कि देश में 1.30 करोड़ लोग हैं। सभी मांग करते रहेंगे तो भला कैसे काम चलेगा। सभी ट्रस्ट में शामिल होने के बजाय अपना सहयोग दें।
श्रीराम जन्मभूमि का मलबा दूसरे पक्ष द्वारा मांगे जाने के सवाल पर स्वामी वासुदेवानंद ने कहा कि वहां प्राचीन मंदिर था। वर्ष 1992 में ही मलबा खत्म हो गया, अब मुस्लिम पक्षकार उसे ढूंढ़ते रहें। ज्योतिषपीठ शंकराचार्य पद को लेकर विवाद पर उन्होंने कहा कि न्यायालय ने तो दूसरे लोग जो कोर्ट गए उन्हें भी शंकराचार्य नहीं माना है। पूरा फैसला नेट पर उपलब्ध है।
जितनी होनी चाहिए उतनी स्वच्छ नहीं हुई गंगा
कहा कि गंगा जितनी स्वच्छ होनी चाहिए उतनी नहीं हुई है। हालांकि प्रयास चल रहा है। सरकार पूरा प्रयास कर रही है लेकिन पहले से जो गतिविधियां बनी हैं उनमें जब तक परिवर्तन नहीं होगा तब तक पूरा प्रयास सार्थक नहीं होगा। इसके लिए सभी को मिल कर प्रयास करना चाहिए।