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तस्‍वीरों में देखिए महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्‍म की होली, भक्‍तों संग भोलेनाथ खेलते हैं होली

बाबा मशाननाथ शिव के ही स्‍वरूप हैं जो महाश्‍मशान में धूनी रमाते हैं और घाट पर भक्‍तों को तारकमंंत्र तो देते ही हैं साथ ही यहां भस्‍म होने वाले हर शव को मोक्ष की भी मान्‍यता है। वहीं आस्‍था रंगभरी एकादशी के अगले दिन मणिकर्णिका घाट पर उतर आती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 01:33 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 01:39 PM (IST)
तस्‍वीरों में देखिए महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्‍म की होली, भक्‍तों संग भोलेनाथ खेलते हैं होली
महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट पर धधकती चिताओं के बीच चिता भस्‍म की होली।

वाराणसी, जेएनएन। काशी के महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट पर जहां सदियों से चिता की आंच कभी ठंडी नहीं पड़ी वहां पर बाबा संग गौना के बाद भक्‍त चिता भस्‍म की होली खेलते हैं। बाबा मशाननाथ शिव के ही स्‍वरूप हैं जो महाश्‍मशान में धूनी रमाते हैं और घाट पर भक्‍तों को तारकमंंत्र तो देते ही हैं साथ ही यहां भस्‍म होने वाले हर शव को मोक्ष की भी मान्‍यता है। ऐसे में बाबा दरबार से आस्‍था रंगभरी एकादशी के अगले दिन मणिकर्णिका घाट पर उतर आती है। बाबा मशाननाथ की प्रतिमा का पूजन कर राग विराग की नगरी काशी चिता भस्‍म की होली संग आस्‍था के सागर में गंगा तट पर गोते लगाने लगती है। दैनिक जागरण के फोटो जर्नलिस्‍ट भैरव जायसवाल के कैमरे से देखिए चिता भस्‍म की होली का उल्‍लास- 

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महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा मशाननाथ की प्रतिमा की साज सज्‍जा के साथ होली का उल्‍लास बिखर जाता है। 

महाश्‍मशान पर जहां सदियों से चिताओं की आंच ठंडी नहीं हुई वहां चिता भस्‍म अबीर और गुलाल नजर आने लगती है।

भगवान शिव के गण स्‍वरूप आस्‍थावान चिताओं की भस्‍म को गंगा तटपर बिखेरकर सुख समृृद्धि और सौभाग्‍य की कामना करते हैं।

मान्‍यता है कि इस घाट पर भगवान शिव अपने भक्‍तों के कान में स्‍वयं तारक मंत्र देते हैं।

सुबह से ही तैयारियों का लंबा दौर दोपहर होते ही चिता भस्‍म की होली के उल्‍लास में डूब जाता है।

खेलैं मशाने में होली दिगंबर खेलें मशाने में होरी... के बोल फ‍िजां में गूंज उठते हैं। 

हवा में अबीर गुलाल के बीच उड़ती चिता भस्‍म को लगा लेने की चाह में आस्‍थावानों का रेला भी उमड़ता है।

औघड़दानी भगवान शिव की नगरी काशी में आस्‍था परवान चढ़ती है तो हर- हर महादेव उद्घोष के साथ महाश्‍मशान भी उत्‍सव में डूब जाता है। 

बाबा के साथ भक्‍तों का होली का यह अनोखा हुड़दंग घंटों तक चलता है। 

बाबा के साथ आस्‍थावानों की यह होली परंपरा उत्‍सव धर्मी काशी की एक अनोखी विशेषता मानी गई है। 

औघड़दानी बाबा विश्‍वनाथ की नगरी काशी में बाबा के भक्‍तों का आस्‍था शिवरात्रि पर बाबा के विवाह से शुरू हाेकर बाबा के गौना होने तक बनी रहती है। बाबा दरबार के साथ ही आस्‍था का सागर गंगा तट मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्‍म की होली के साथ परवान चढ़ता है। जबकि होली के दिन चौसट्टी देवी के दर पर दर्शन पूजन के साथ होली के समापन की मान्‍यता है। 


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