लोक सभा चुनाव - वेतन में कम माल, ड्यूटी पर सवाल, चौकीदार हुए लाल
कम वेतन की मन में शिकायत लिए लाल पगड़ी पहने ये चौकीदार जब गांव की चौपाल से लेकर चायपान की दुकानों पर पहुंच रहे तो चौकीदार को लेकर चुनावी जुबानी तकरार शुरू हो जा रही।
वाराणसी, [ विकास बागी]। इस बार का चुनाव भी जुमलों की जंग में उतर चुका है। पांच साल पहले लोकसभा चुनाव में 'चाय वाला' मुद्दा बना था तो इस बार 'चौकीदार'। इन सबके बीच योगी सरकार ने सुरक्षा की अंतिम पंक्ति यानि ग्राम चौकीदार जिन्हें अब ग्राम प्रहरी कहा जाता है, आचार संहिता लगने से पहले मानदेय में एक हजार रुपये की वृद्धि के साथ ही अन्य सुविधाओं में इजाफा किया है। कम वेतन की मन में शिकायत लिए लाल पगड़ी पहने ये चौकीदार जब गांव की चौपाल से लेकर चायपान की दुकानों पर पहुंच रहे तो 'चौकीदार' को लेकर चुनावी जुबानी तकरार शुरू हो जा रही। दूसरी तरफ चौकीदार गुस्से से लाल भी हैं क्योंकि चुनावी 'चोर-सिपाही' के खेल में कांग्रेस 'चौकीदार चोर' अभियान चला रही तो भाजपा 'मैं भी चौकीदार' अभियान को तेजी से हवा दे रही है।
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मोदी को 'चायवाला' कहकर ऐसा मुद्दा थमाया कि भाजपा बहुमत की लहर पर सवार हुई और बिना दबाव के पांच साल केंद्र की सरकार चलाई। इस बार भी कांग्रेस का दांव कहीं उल्टा न पड़ जाए क्योंकि एक बार फिर चुनाव के संग्राम में शब्दों के जिस बाण से निशाना लगाने की कोशिश की अब वहीं बाण भाजपा ने उनकी तरफ मोड़ दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस 'चौकीदार चोर है' अभियान के सहारे मोदी को घेरने की कोशिश की, मोदी समेत पूरी भाजपा ने ही उसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। मोदी और अमित शाह ने जैसे ही अपने ट्विटर हैंडल पर अपने नाम के पहले चौकीदार लिखा, भाजपा में मंत्री से लेकर आम कार्यकर्ता तक के बीच होड़ बन गई खुद को 'चौकीदार- बताने की।
योगी ने बनारस में दिया था चौकीदार को 'ग्राम प्रहरी' का नाम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नहीं सोचा होगा कि जिस शब्द 'चौकीदारÓ को वह ग्राम प्रहरी में बदलने जा रहे हैं, एक दिन यह शब्द भारत की चुनावी राजनीति में एक बड़ा हथियार बन जाएगा। जनवरी 2018 में सीएम योगी आदित्यनाथ जब वाराणसी आए थे, तत्कालीन एसएसपी आरके भारद्वाज ने ग्राम प्रहरियों का एक सम्मेलन आयोजित कराया था। एसएसपी की पहल मुख्यमंत्री को इतनी पसंद आई कि उन्होंने मंच से ही ग्राम चौकीदार को नया नाम ग्राम प्रहरी दे दिया। शासनादेश भी जारी हो गया। मानदेय में वृद्धि कर पंद्रह सौ रुपये कर दिया गया।
लोकसभा चुनाव के आरंभ में ही चौकीदार को मुद्दा बनते देख योगी सरकार ने भी बड़ा दांव खेला और आचार संहिता लागू होने से पहले बीते आठ मार्च को ही ग्राम प्रहरियों के मानेदय में एक हजार की बढोतरी कर दी। यूपी में लगभग पैंसठ हजार ग्राम प्रहरी हैं। बनारस में इनकी संख्या चार सौ इक्यावन है।
ग्राम प्रहरियों को अब योगी सरकार से मिलने वाली सुविधा
- मानदेय अब 25 सौ रुपये प्रतिमाह।
- तीन वर्ष के लिए 3.70 मीटर लाल साफा।
- तीन वर्ष के लिए दो खाकी कोट।
- दो वर्ष के लिए जर्सी
- दो वर्ष के लिए दो धोती।
- बीस साल के लिए बेल्ट क्लास्प
- पंद्रह साल के लिए चमड़े की पेटी।
- तीन वर्ष के लिए मुंडा जूता।
- चार सेल वाला एक टार्च जिसके लिए तीन सौ बीस रुपये और प्रतिमाह साठ रुपये चार सेल के लिए।
- दस वर्ष में के लिए एक साइकिल। अवधि बीतने पर फिर नई साइकिल।
- साइकिल अनुरक्षण के लिए छह सौ रुपये भत्ता प्रतिवर्ष।
मोदी के संसदीय क्षेत्र में सोशल मीडिया पर मच रही धूम
नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी मंत्री, विधायक, पदाधिकारियों से लेकर आम कार्यकर्ता भी 'मैं भी चौकीदारÓ अभियान से लगातार जुड़ रहे हैं। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर तेजी से अपने नाम के आगे चौकीदार शब्द जोडऩे की मुहिम चल रही है। भाजपा का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति जो गंदगी, भ्रष्टाचार और सामाजिक कुरूतियों के खिलाफ लड़ते हुए देश की सुरक्षा करने के साथ उसे विकास के पथ पर ले जा रहा हो, वो भी चौकीदार है।