Move to Jagran APP

Locusts Attack : जंगली नीम छोड़ हरियाली की दुश्मन हैं टिड्डियां, कई बीमारियों की भी संवाहक

टिड्डियां अपने रास्ते में पडऩे वाली समस्त फसल को निगल जाती हैं पर जंगली नीम को स्पर्श नहीं करती हैं। इन दिनों हमले से किसान परेशान है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 05:14 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 05:34 PM (IST)
Locusts Attack : जंगली नीम छोड़ हरियाली की दुश्मन हैं टिड्डियां, कई बीमारियों की भी संवाहक
Locusts Attack : जंगली नीम छोड़ हरियाली की दुश्मन हैं टिड्डियां, कई बीमारियों की भी संवाहक

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। अफ्रीका से भोजन की तलाश व प्रवास पर निकली टिड्डियां खाड़ी देशों को पार कर अफगानिस्तान-पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश तक आ चुकी हैं। हवा के झोंके के संग झुंड में चल रही ये टिड्डियां पल भर में खेतों को झंखाड़ बना देती हैं। किसान भयभीत है तो वहीं बचाव में जुटे कृषि विभाग समेत प्रशासनिक अफसरों के होश उड़े हुए हैं। हालांकि कृषि विशेषज्ञ बचाव के तमाम सुझाव साझा कर रहे हैं पर यह कितना सफल होगा, इसका असर तो बाद में दिखेगा।

loksabha election banner

बीएचयू के पूर्व कृषि व कीट वैज्ञानिक प्रो. जनार्दन सिंह कहते हैं कि दीमक की तरह ये अपने रास्ते में पडऩे वाली समस्त फसल को निगल जाती हैं पर जंगली नीम को नहीं स्पर्श करती हैं। बताया कि 1967 में एक शोध दिल्ली के पूसा संस्थान में प्रख्यात किट विज्ञानी डा. प्रधान के नेतृत्व में हुआ था। इस शोध से पता चलता है कि जंगली नीम के घोल का छिड़काव टिड्डियों को फसलों से दूर रखने का सबसे प्रभावी उपचार है। जिन पौधों पर इसका छिड़काव होता है, उस पर टिड्डियों का दल नहीं बैठता है। महक से इनका दल दूर रहता हैं। इतना ही नहीं भूख से मरना पसंद करेंगी पर जंगली नीम के घोल पड़े फसल को नष्ट नहीं करेंगी। टिड्डियों के दल का ज्यादा आक्रमण धान की नर्सरी पर होगा, जिसे बचाना बेहद जरूरी है।

10 हाथी के बराबर चट कर जाती हैं भोजन

प्रो. जनार्दन सिंह ने बताया कि एक किलोमीटर के क्षेत्र में आठ करोड़ टिड्डियों की संख्या हो सकती हैं। इनके झुंड का एक छोटा हिस्सा लें तो पांच लाख टिड्डियों का वजन करीब एक टन के बराबर होता है। एक दिन  में ये एक टन टिड्डियां लगभग 10 हाथियों या 25 ऊंटों के बराबर भोजन चट कर जाती हैं। हर वयस्क टिड्डी अपने वजन के बराबर भोजन खाती है।

90 दिन है जीवनकाल

टिड्डियों का जीवनकाल 90 दिन का होता है। जीवनकाल में तीन बार प्रजनन कर हजारों अंडे देती हैं। बीएचयू में जंतु विभाग की पूर्व पक्षी विज्ञानी प्रो. चंदाना हलधर के मुताबिक कीटों के इस हमलावर प्रवास को लोकस्ट माइग्रेशन कहते हैं। ये टिड्डियां अपने साथ कई बीमारियां लाती हैं, जिनसे खासकर बच्चों को बचाना बेहद जरूरी हैं। अक्सर इनके स्पर्श से एलर्जी वाली बीमारियां खुजली, चर्म रोग इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं।

यह है उपचार

प्रो. जनार्दन सिंह ने बताया कि नीम के बीज की गिरी (5 किग्रा) का पाउडर बना कर रात भर पानी (10 लीटर) में भिगोकर छोड़ दें। सुबह लकड़ी के चम्मच से चलाकर सफेद घोल को मलमल के दो लेयर वाले कपड़े से छान लें। इस घोल के एक फीसद के बराबर डिटर्जेंट डालकर एक पेस्ट तैयार करतें हैं और स्प्रे घोल में अच्छी तरह मिलाकर खेतों में छिड़काव कर दें। टिड्डियां न फसल बैठेंगी न ही खाएंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.