Lockdown ने छीना चार लाख मजदूरों का रोजगार, रोज कमाने-खाने वालों के सामने आर्थिक संकट
लॉकडाउन के चलते रोज कमाने-खाने वालों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। वे काम की तलाश में निकल रहे हैं लेकिन उन्हेंं कहीं काम नहीं मिल रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। लॉकडाउन के चलते रोज कमाने-खाने वालों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। वे काम की तलाश में निकल रहे हैं लेकिन उन्हेंं कहीं काम नहीं मिल रहा है। सबसे अधिक परेशानी रियल स्टेट का काम शुरू नहीं होने से है। शहर से लेकर गांव तक छोटे-मोटे काम भी शुरू नहीं हो पा रहे हैं। यदि कोई काम शुरू करना चाह रहा तो उसे गिट्टी-बालू नहीं मिल रहे हैं। बाजार में गिट्टी-बालू का रेट अधिक होने के चलते लोग काम शुरू नहीं करा रहे हैं। वहीं, रियल स्टेट से जुड़े लोग जिला प्रशासन से काम शुरू कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन कब उन्हेंं अनुमति मिलेगी मालूम नहीं।
लॉकडाउन के चलते रियल स्टेट, कल-कारखाने, मॉल, शो रूम, होटल, रेस्टोरेंट, दुकान आदि बंद हो गए हैं। दुकानों को खोलने की अनुमति मिली तो कर्मचारियों की संख्या कम करने को कहा गया है। ऐसे में जिले में करीब चार लाख मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने शर्तों के साथ रियल स्टेट का काम शुरू करने को कहा था लेकिन सरकारी कामों को छोड़कर प्राइवेट कामों को शुरू कराने की अनुमति नहीं मिली। ठीकेदार राजेंद्र कुमार का कहना है कि लॉकडाउन के चलते काम पूरी तरह से बंद है। गिट्टी-बालू नहीं मिलने के चलते लोग काम शुरू नहीं करा रहे हैं। वहीं, कुछ लोग आॢथक संकट बताने के साथ बाद में काम शुरू कराने की बात कर रहे हैं।
बिहार के रहने वाले ठीकेदार महेंद्र कुमार कहते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने से कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं करा रहा है। 56 मजदूरों साथ में है, यदि 10 दिन के अंदर काम शुरू नहीं हुआ तो मजदूरों को गांव भेज दिया जाएगा। वीडीए की मानें तो रियल स्टेट और निर्माण कार्य में करीब एक लाख मजूदर काम करते हैं। वहीं, कल-कारखानों में अलग से। होटल व्यावसायी वीरेंद्र दुबे का कहना है कि होटल और रेस्टोरेंट 60 हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं लेकिन उन्हेंं बैठाकर पैसा दिया जा रहा है लेकिन आमदनी नहीं होने पर आगे संभव नहीं है। क्योंकि होटल कारोबार इस साल पूरी तरह से बैठ गया है। वाराणसी बिल्डर्स एवं डेवलपर्स एसासिएशसन वाराणसी शाखा के अध्यक्ष अनुज डिडवानिया का कहना है कि जिले के 53 निर्माणाधीन भवनों में 15 हजार मजदूर रुके हुए हैं। करीब 40 हजार मजदूर अपने घर जा चुके हैं। जिला प्रशासन से निर्माण कार्य शुरू कराने की अनुमति मांगी जा रही है। घर जाने के बाद मजदूरों को वापस बुलाना मुश्किल है।